बिलासपुर, 19 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में फंसे आबकारी विभाग के अधिकारियों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सोमवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सभी 29 अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।
गिरफ्तारी से बचने के लिए इन अधिकारियों ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी, लेकिन जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने साफ निर्देश दिए कि आरोपी अधिकारी निचली अदालत में सरेंडर करें और वहीं से जमानत के लिए आवेदन दें।
यह मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने ओवर बिलिंग, नकली बारकोड और डमी कंपनियों के जरिए करोड़ों की अवैध वसूली की। इस कड़ी में ईओडब्ल्यू ने 29 अधिकारियों पर मामला दर्ज किया।
कोर्ट में दाखिल चालान के बाद सभी आरोपियों को 20 अगस्त तक उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए ही अधिकारियों ने अग्रिम जमानत की कोशिश की थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान शासन की ओर से इन याचिकाओं का कड़ा विरोध किया गया।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि साल 2019 से 2022 के बीच करीब 2000 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ। उस समय प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार थी। ईडी का दावा है कि इस घोटाले में राज्य के बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत रही।
इसी मामले में कांग्रेस सरकार के आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा जेल में बंद हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल भी न्यायिक हिरासत में हैं।
हाईकोर्ट के इस फैसले को घोटाले की जांच में एक अहम मोड़ माना जा रहा है, जिससे अब दोषी अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
