रायपुर, 19 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर चल रहे नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ा (DGN) डिवीजन के चार कुख्यात माओवादियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
आत्मसमर्पण करने वालों में डिवीजनल कमेटी सदस्य दीपक उर्फ भीमा मंडावी, मोडेम बालकृष्ण उर्फ मनोज के सुरक्षा दस्ते का सदस्य कैलाश, और एरिया कमेटी सदस्य रणिता उर्फ पैकी तथा सुजीता शामिल हैं। ये सभी पिछले एक दशक से सक्रिय थे और नुआपाड़ा जिले में कई आपराधिक मामलों में वांछित थे।
यह आत्मसमर्पण रायपुर रेंज आईजी अमरेश मिश्रा और नक्सल ऑपरेशन आईजी अंकित गर्ग की मौजूदगी में हुआ। इस कार्रवाई को गरियाबंद और धमतरी जिला पुलिस, CRPF की 67 व 211 बटालियन और COBRA की 207 बटालियन ने मिलकर अंजाम दिया।
इससे पहले मेनपुर थाना क्षेत्र के बड़गोबरा जंगल में कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हल्की मुठभेड़ हुई थी। माओवादी भाग खड़े हुए और पुलिस ने उनका कैंप कब्जे में ले लिया। तलाशी में 16.5 लाख रुपये नकद, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, 31 जिंदा कारतूस, 2 डेटोनेटर, 8 BGL, 12-बोर के राउंड और माओवादी साहित्य बरामद हुआ।
इन माओवादियों पर भारी इनाम घोषित था — दीपक पर 8 लाख रुपये, कैलाश और रणिता पर 5-5 लाख रुपये, और सुजीता पर 1 लाख रुपये का इनाम था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण संगठन के लिए बड़ा झटका है और इलाके में शांति स्थापना की दिशा में अहम कदम है।
सुरक्षा बल अब भी ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर लगातार सर्च अभियान चला रहे हैं, ताकि बचे हुए माओवादी ठिकानों को पूरी तरह खत्म किया जा सके।
