दुर्ग, 19 अगस्त 2025। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भारत सरकार का वह संस्थान है जो सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के भविष्य और कल्याण के लिए बनाया गया था। लेकिन विडंबना यह है कि छत्तीसगढ़ के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी आज भी इस सुविधा से वंचित हैं।
करीब 35 वर्षों से सेवा दे रहे ये कर्मचारी अपने जीवन का सुनहरा समय संस्थान को दे चुके हैं। प्राचार्यों द्वारा कलेक्टर दर पर नियुक्त किए गए इन कर्मचारियों को नियमों के अनुसार EPF का लाभ मिलना चाहिए था, लेकिन उच्च अधिकारियों की मनमानी और निरीक्षण की कमी के चलते अब तक उन्हें यह हक नहीं मिला।
व्यथा कथा
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की हालत बेहद दयनीय है। कोई 15-20 साल सेवा करने के बाद भविष्य सुरक्षित न देख कर नौकरी छोड़ चुका, कोई मृत्यु को प्राप्त हो गया और कुछ अब भी अपनी सेवा जारी रखे हुए हैं। लेकिन न भविष्य सुरक्षित है, न बुढ़ापे का सहारा।
दुर्ग नगर और जिले के अन्य महाविद्यालयों में भी यही तस्वीर देखने को मिलती है। पंडरी रायपुर स्थित EPFO का क्षेत्रीय कार्यालय कभी भी शासकीय, अर्द्धशासकीय या निजी महाविद्यालयों का निरीक्षण नहीं करता। नतीजा यह है कि कर्मचारियों का लगातार शोषण होता रहा और उनकी मेहनत के वर्षों का कोई भरोसेमंद भविष्य नहीं बन पाया।
जनता की पीड़ा, जिम्मेदारों की चुप्पी
इन कर्मचारियों के लिए EPF सिर्फ एक योजना नहीं बल्कि जीवनभर की कमाई का सहारा है। लेकिन सरकारी तंत्र की अनदेखी ने इन्हें अंधकारमय भविष्य की ओर धकेल दिया है। सवाल उठता है कि आखिर 35 वर्षों की सेवा देने वाले कर्मचारियों के साथ इस अन्याय का जिम्मेदार कौन है?
