रायपुर, 18 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ के शिक्षा जगत में लंबे समय से लंबित प्राचार्य पदोन्नति का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। “छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” और “छत्तीसगढ़ राज्य सर्वशासकीय सेवक अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” के साथ-साथ सहयोगी संगठन “छत्तीसगढ़ प्रगतिशील एवं नवाचारी शिक्षक महासंघ (CGPITF)” ने प्रदेश सरकार से निष्पक्ष और पारदर्शी काउंसलिंग कर सभी पात्र पदोन्नत प्राचार्यों की पदस्थापना सुनिश्चित करने की मांग की है।
प्रदेश संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने मंत्रालय महानदी भवन और इंद्रावती भवन में अधिकारियों से मुलाकात कर कहा कि 12 वर्षों से लंबित यह मामला अब निर्णायक मोड़ पर है। उन्होंने विशेष रूप से “टी संवर्ग” की पदोन्नति प्रक्रिया में पाई जा रही विसंगतियों को दूर करने पर ज़ोर दिया।
उन्होंने बताया कि 14 अगस्त 2025 को जारी नियमों और 2:1:1 अनुपात पर आधारित काउंसलिंग सूची कई वरिष्ठ शिक्षकों और प्रधान पाठकों के साथ अन्याय कर रही है। संघर्ष मोर्चा चाहता है कि काउंसलिंग पूरी तरह वरिष्ठता और पात्रता के आधार पर हो, ताकि सभी 1355 पदोन्नत प्राचार्यों को समान अवसर मिल सके।
सिंह ने यह भी कहा कि रिटायर हो चुके लोगों के स्थान पर उनके संवर्ग से ही पात्र वरिष्ठ शिक्षकों को शामिल किया जाए, और गंभीर बीमारी, दिव्यांगजन, रिटायरमेंट के करीब और महिला शिक्षकों को नियमानुसार वरीयता मिले।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “ई संवर्ग” के प्राचार्य पदोन्नति मामले का फैसला माननीय हाईकोर्ट में लंबित है, और अदालत का निर्णय आते ही सरकार को तत्काल कार्यवाही कर पदोन्नति का रास्ता खोलना चाहिए।
संघर्ष मोर्चा का मानना है कि अगर सभी 1355 पदोन्नत प्राचार्यों को काउंसलिंग के ज़रिये पदस्थ किया गया, तो प्रदेश के सैकड़ों विद्यालयों को स्थायी प्राचार्य मिल सकेंगे। इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य और प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।
