नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को भाजपा पर दलित, पिछड़े वर्ग और आदिवासियों के अधिकार छीनने के लिए “रिकॉर्ड मिटाने” को नया हथियार बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह आरोप एक जांच रिपोर्ट के आधार पर लगाया, जिसमें छत्तीसगढ़ में हजारों वनाधिकार पट्टों के रिकॉर्ड अचानक गायब होने की बात सामने आई है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “रिकॉर्ड मिटाओ, हक चुराओ – भाजपा ने वंचित समुदायों को दबाने का नया हथियार बना लिया है। कहीं दलित और पिछड़े वर्ग के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं, तो कहीं आदिवासियों के वनाधिकार पट्टे ‘गायब’ कर दिए जा रहे हैं।”
उन्होंने दावा किया कि बस्तर में 2,788 वनाधिकार पट्टों का रिकॉर्ड गायब हो गया, जबकि राजनांदगांव में आधे से अधिक पट्टे अचानक हट गए। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह वनाधिकार कानून को कमजोर कर आदिवासियों के ज़मीन, जल और जंगल पर “पहले हक” को खत्म करना चाहती है। राहुल गांधी ने इन अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प भी जताया।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 17 महीनों में छत्तीसगढ़ के कम से कम तीन ज़िलों में हजारों वनाधिकार पट्टे ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड से गायब पाए गए। सूचना के अधिकार के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2024 में बस्तर ज़िले में 37,958 व्यक्तिगत वनाधिकार (IFR) पट्टे थे, जो मई 2025 तक घटकर 35,180 रह गए। राजनांदगांव में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) पट्टों की संख्या एक महीने में 40 से घटकर 20 हो गई। बीजापुर में यह आंकड़ा अप्रैल 2024 में 299 से 297 पर आ गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि वनाधिकार कानून, 2006 के तहत एक बार दिए गए पट्टे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है, सिवाय विशेष परिस्थितियों और ग्रामसभा की सहमति के। हालांकि, राज्य अधिकारियों ने इसे “सूचना आदान-प्रदान की गलती” और “रिपोर्टिंग त्रुटि” बताया, जिसे अब “सुधार” लिया गया है।
वनाधिकार कानून अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासियों को जंगलों के उपयोग का कानूनी अधिकार देता है। मई 2025 तक छत्तीसगढ़ में 4.82 लाख व्यक्तिगत और 4,396 सामुदायिक वनाधिकार पट्टे वितरित किए जा चुके हैं, जो पूरे भारत में FRA के तहत कवर क्षेत्र का 43% हिस्सा है।
