बस्तर, 14 अगस्त 2025।
इस स्वतंत्रता दिवस पर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के 14 दूरस्थ आदिवासी गांव इतिहास रचेंगे। 15 अगस्त 2025 को यहां पहली बार राष्ट्रीय ध्वज लहराया जाएगा — वह भी उन इलाकों में, जहां दशकों तक माओवादी प्रभाव के कारण काला या लाल झंडा फहरता था और आज़ादी का जश्न मनाना मना था।
इन गांवों में यह बदलाव जनवरी 2025 के बाद स्थापित हुए नए सुरक्षा शिविरों के कारण संभव हुआ है। ये शिविर बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिलों के नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों में बनाए गए हैं। पहले, माओवादी पर्चे और धमकी भरे बैनर लोगों को राष्ट्रीय पर्व मनाने से रोकते थे। लेकिन इस बार, प्रशासन का कहना है कि न तो कोई माओवादी चेतावनी आई है, न काला झंडा, और न ही जश्न रोकने की कोशिश।
“तिरंगा गांव के बीचोंबीच फहराया जाएगा”
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी. सुंदरराज ने बताया, “तिरंगा गांव के केंद्र में अर्धसैनिक बल, बस्तर पुलिस और ग्रामीणों की मौजूदगी में फहराया जाएगा। ये 14 गांव वे हैं, जहां 26 जनवरी 2025 के बाद सुरक्षा शिविर स्थापित हुए, और जिन्होंने पहले कभी कोई राष्ट्रीय पर्व नहीं मनाया।”
उन्होंने कहा कि ये शिविर अब विकास और जनसंपर्क के केंद्र बन गए हैं। “गांवों में बच्चों और युवाओं की आंखों में पहली बार तिरंगा देखने की चमक है। हमारे जवान भी इस पल के लिए उतने ही उत्साहित हैं जितने ग्रामीण,” सुंदरराज ने कहा।
तिरंगे की पहली लहर
गुंजेपुर्ती, पुजारीकांकर, भीमाराम, कुटुल, पदमकोट, नेलांगुर, पांगूर, उष्कवाया, कोंडापल्ली, रायगुudem, गोमगुड़ा और पिडिया जैसे गांवों में इस बार तिरंगा गर्व से लहराएगा। इनमें से कुछ गांव माओवादी हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित रहे हैं।
समारोह के साथ-साथ ग्रामीणों को स्वतंत्रता दिवस के महत्व और इतिहास के बारे में भी बताया जाएगा। पूरे बस्तर में तिरंगा रैलियां पहले से जारी हैं, जिनका नेतृत्व जनप्रतिनिधि और सीआरपीएफ इकाइयां कर रही हैं।
सुरक्षा चाक-चौबंद
इस मौके पर जिला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स, विशेष कार्य बल (STF), छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), कोबरा, सशस्त्र सीमा बल (SSB), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सीमा सुरक्षा बल (BSF) और स्थानीय पुलिस की तैनाती की गई है।
यह पहल सरकार और सुरक्षा बलों की उस संयुक्त कोशिश को दर्शाती है, जिसके तहत देश के हर नागरिक — चाहे वह शहर में हो या सुदूर जंगलों में — को राष्ट्र की स्वतंत्रता और संवैधानिक ताकत से जोड़ा जा रहा है।
माओवाद मुक्त बस्तर का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने बस्तर को 31 मार्च 2026 तक माओवाद मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। इस वर्ष जुलाई तक 204 माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए हैं, हालांकि 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 28 नागरिकों की माओवादियों ने हत्या कर दी। इन हालात के बावजूद, इस स्वतंत्रता दिवस का उत्साह ग्रामीणों और जवानों के लिए एक नई सुबह लेकर आया है।
