किसानों को समय पर और उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन सक्रिय

दुर्ग, 13 अगस्त 2025। खरीफ सीजन 2025 में किसानों की जरूरतों को देखते हुए दुर्ग जिला प्रशासन ने उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण के लिए विशेष पहल की है। इस बार सहकारी क्षेत्र में 43,886 मीट्रिक टन उर्वरक का भंडारण किया गया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 4% अधिक है। वर्तमान में प्राथमिक सहकारी समितियों में 2,956 मीट्रिक टन उर्वरक शेष है, जिसे किसान अपनी आवश्यकता अनुसार उठा रहे हैं।

वैश्विक आपूर्ति संकट के कारण इस वर्ष डीएपी उर्वरक का लक्ष्य घटा है, लेकिन इसकी कमी को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक उर्वरक—एसएसपी, एनपीके, संयुक्त उर्वरक, नैनो यूरिया और नैनो डीएपी—किसानों तक पहुंचाए जा रहे हैं। इन नैनो तरल उर्वरकों की मांग एकत्र कर तत्काल भंडारण की व्यवस्था भी की जा रही है।

कलेक्टर अभिजीत सिंह की सक्रियता से किसानों ने अग्रिम उठाव कर अपनी फसल के लिए आवश्यक उर्वरक समय पर प्राप्त किए। जिले में उर्वरक की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी रोकने के लिए जिला स्तरीय निरीक्षण दल और उर्वरक निरीक्षकों की टीम लगातार मैदान में है। अब तक 162 प्रतिष्ठानों की जांच की गई, जिनमें से 49 को कारण बताओ नोटिस, 1 का लाइसेंस निरस्त, 1 का निलंबन, 9 पर जब्ती और 10 पर विक्रय प्रतिबंध की कार्रवाई हुई।

गुणवत्ता जांच में 201 नमूने प्रयोगशाला भेजे गए, जिनमें से 108 मानक और 6 अमानक पाए गए। अमानक उर्वरक बेचने वाले विक्रेताओं और कंपनियों के खिलाफ उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है।

वर्तमान में जिले में यूरिया 1127 मीट्रिक टन, एसएसपी 1727 मीट्रिक टन, एमओपी 753 मीट्रिक टन, डीएपी 488 मीट्रिक टन और अन्य उर्वरक 530 मीट्रिक टन उपलब्ध हैं। कलेक्टर ने निर्देश दिया है कि विक्रय केवल निर्धारित मूल्य पर, कृषि विभाग की उपस्थिति में हो।

कलेक्टर सिंह ने किसानों से अपील की है कि अगर कहीं कालाबाजारी या अधिक दाम पर उर्वरक बिकने की शिकायत हो, तो तुरंत कृषि विभाग के नियंत्रण कक्ष के मोबाइल नंबर 9907109662 पर सूचित करें, ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।