तारोकी–रावघाट रेलखंड का अधिकांश कार्य पूरा, नवंबर में ट्रेन चलने की संभावना

रायपुर, 13 अगस्त 2025।
बस्तर अंचल की बहुप्रतीक्षित दल्लीराजहरा–रावघाट रेल परियोजना अपने लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रही है। 95 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का 77.5 किलोमीटर का तारोकी–रावघाट खंड अब लगभग तैयार है। यूटिलिटी शिफ्टिंग का काम शत-प्रतिशत पूरा हो चुका है, बड़े और छोटे पुलों के साथ ट्रैक बिछाने का कार्य अंतिम चरण में है। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इस खंड पर नवंबर 2025 तक ट्रेन परिचालन शुरू हो सकता है, जबकि पूरी परियोजना दिसंबर 2025 तक पूर्ण होने की दिशा में है।

बस्तर के लिए पहली सीधी रेल कड़ी
यह रेलमार्ग बस्तर को पहली बार राज्य की राजधानी रायपुर से सीधे रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगा। इसके पूरा होने से न केवल यात्रियों को सुगम यात्रा सुविधा मिलेगी, बल्कि लौह अयस्क सहित अन्य खनिजों के परिवहन को भी नई गति मिलेगी।
स्थानीय लोग इसे विकास की नई पटरियों पर बस्तर की यात्रा मान रहे हैं — एक ऐसी यात्रा, जो रोज़गार, व्यापार और निवेश के नए अवसर लेकर आएगी।

औद्योगिक जरूरतों का समाधान
यह रेलवे लाइन रावघाट लौह अयस्क खदानों को सीधे भिलाई इस्पात संयंत्र से जोड़ेगी। वर्तमान में दल्लीराजहरा की खदानों से लौह अयस्क की उपलब्धता घट रही है, ऐसे में यह परियोजना न केवल स्टील प्लांट की जरूरतें पूरी करेगी, बल्कि क्षेत्रीय औद्योगिक विकास की रीढ़ भी साबित होगी।

निर्माण में आई कठिनाइयाँ
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इस इलाके में काम करना आसान नहीं था। अब तक 12 नक्सली हमलों में 4 मजदूरों की मौत और 2 सुरक्षाकर्मियों की शहादत हो चुकी है। उपकरणों और मशीनों में आगजनी की घटनाएं भी हुईं, जिससे कार्य कई बार प्रभावित हुआ। एसएसबी के सुरक्षा कवच मिलने के बाद निर्माण गति पकड़ सका।

तकनीकी प्रगति और निर्माण विवरण
रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के अनुसार—

  • 17.5 किलोमीटर भूमि अधिग्रहण का कार्य पूर्ण।
  • 21.94 लाख घन मीटर मिट्टी कार्य का अधिकांश पूरा।
  • तीन में से दो बड़े पुल और 61 में से 55 छोटे पुल तैयार।
  • बैलेस्ट और भवन निर्माण कार्य अगस्त–सितंबर तक पूरे होने की संभावना।

पूरी 95 किलोमीटर की परियोजना में 16 बड़े पुल, 19 रोड ओवर ब्रिज, 45 रोड अंडर ब्रिज और 176 छोटे पुल बनेंगे। केवल तारोकी–रावघाट खंड में 3 बड़े पुल, 5 रोड ओवर ब्रिज, 7 रोड अंडर ब्रिज और 49 छोटे पुल शामिल हैं। सभी कार्यों में तकनीकी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

विकास की नई पटरियां
परियोजना के पूर्ण होते ही बस्तर में खनिज परिवहन, व्यापार, पर्यटन और यात्री सुविधाओं में ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिलेगा। यह रेललाइन सिर्फ लोहे के अयस्क को भिलाई तक नहीं पहुंचाएगी, बल्कि बस्तर के कोने-कोने में रोज़गार, शिक्षा और विकास की नई संभावनाओं को भी गति देगी।