सुप्रीम कोर्ट ने ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की जमानत रद्द की, एक हफ्ते में आत्मसमर्पण का आदेश

नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025।
देश के मशहूर पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार एक बार फिर कानूनी शिकंजे में आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियन सागर धनखड़ हत्या मामले में उनकी जमानत रद्द कर दी। न्यायमूर्ति संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 4 मार्च 2025 को दिए गए जमानत आदेश को खारिज करते हुए सुशील कुमार को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।


शिकायतकर्ता पक्ष की दलील

पीड़ित सागर धनखड़ के पिता अशोक धनखड़ की ओर से पेश वकील जोशीनी तुली ने अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय का आदेश “त्रुटिपूर्ण” था और कानून के अनुरूप नहीं था। उनका आरोप था कि जब भी सुशील कुमार को अंतरिम जमानत दी गई, उन्होंने मुख्य और घायल गवाहों समेत सरकारी गवाहों से छेड़छाड़ की।

जोशीनी तुली ने कहा,

“घटना का वीडियो फुटेज मौजूद है और मुख्य गवाह ने घटना का समर्थन भी किया था। लेकिन सुशील कुमार के बाहर आने पर गवाह अपने बयान से मुकर गए। मुकदमा अभी जारी है और कई गवाहों से पूछताछ बाकी है।”


घटना का पृष्ठभूमि

मामला 4 मई 2021 की रात का है, जब दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम की पार्किंग में संपत्ति विवाद को लेकर सुशील कुमार और उनके साथियों ने सागर धनखड़ और उसके दोस्तों पर हमला किया।

  • सागर धनखड़ गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
  • चार अन्य पहलवान भी हमले में घायल हुए।
  • घटना का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें सुशील और उनके दोस्त पीटाई करते नजर आए।

पुलिस की कार्रवाई

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में सुशील कुमार को गिरफ्तार किया और 13 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। आरोपों में हत्या, हत्या का प्रयास, गैर-इरादतन हत्या, आपराधिक साजिश, अपहरण, डकैती और दंगा जैसी गंभीर धाराएं शामिल हैं।


कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि गंभीर अपराध के मामलों में जमानत देने के लिए न्यायालय को सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए, खासकर जब गवाहों से छेड़छाड़ के सबूत सामने आए हों। अदालत ने यह भी कहा कि मुकदमा अभी लंबित है और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित होने से बचाने के लिए यह कदम जरूरी है।


मानवीय पहलू

धनखड़ परिवार के लिए यह फैसला एक उम्मीद की किरण है। सागर के पिता अशोक धनखड़ ने कहा,

“हम चार साल से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। बेटा तो वापस नहीं आएगा, लेकिन हम चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले।”

दूसरी ओर, कुश्ती जगत के लिए यह खबर चौंकाने वाली है। कई पहलवानों ने कहा कि यह मामला खेल के गौरव और छवि को ठेस पहुंचाने वाला है।