दुर्ग, 13 अगस्त 2025।
रक्षाबंधन के त्योहार के कुछ ही दिनों बाद, दुर्ग पुलिस ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की पहचान और दस्तावेजों की जांच के लिए सघन अभियान चलाया। इस बार कार्रवाई जामुल स्थित अटल आवास, घासीदास नगर और कुरूद इलाके के अटल आवास में हुई। सुबह-सुबह पुलिस टीम घर-घर पहुंची, दरवाजे खटखटाए और निवासियों से पहचान पत्र दिखाने को कहा।
पुलिस ने आधार कार्ड, वोटर आईडी, और अन्य वैध दस्तावेजों की बारीकी से जांच की। कुल 321 लोगों की जांच में 31 व्यक्ति ऐसे मिले, जिनके पास आवश्यक पहचान दस्तावेज नहीं थे।
मौके पर ही फिंगरप्रिंट स्कैन
पुलिस ने मौके पर ही इन 31 संदिग्धों के फिंगरप्रिंट स्कैन किए और उन्हें सख्त चेतावनी दी कि वे शहर छोड़कर न जाएं। स्कैन किए गए फिंगरप्रिंट को उनके मूल पते पर भेजा जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि वे किसी आपराधिक मामले में वांछित तो नहीं हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि सभी संदिग्ध पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
पहले भी पकड़े गए थे बांग्लादेशी मूल के लोग
दुर्ग पुलिस प्रवासी मजदूरों और संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान के लिए पिछले कुछ महीनों से लगातार विशेष अभियान चला रही है। अब तक जिले के कई इलाकों में सैकड़ों संदिग्धों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें बांग्लादेशी मूल के लोग भी पाए गए हैं। इन सभी का सत्यापन NAFIS (राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली) के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे अपराधियों को आसानी से चिन्हित कर कार्रवाई की जा सके।
पुलिस का संदेश
पुलिस प्रवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा,
“हम उन सभी क्षेत्रों पर खास नजर रख रहे हैं जहां प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में रहते हैं। सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसे ऑपरेशन बेहद जरूरी हैं।”
स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
मानवीय पहलू
इलाके के कई स्थायी निवासियों ने राहत की सांस ली है। एक महिला ने कहा,
“पिछले कुछ महीनों से मोहल्ले में अजनबी लोग आकर रहने लगे थे। हमें नहीं पता था कि वे कौन हैं, लेकिन अब पुलिस की जांच से हमें सुरक्षा महसूस हो रही है।”
पुलिस का मानना है कि ऐसे अभियान न केवल अपराध पर रोक लगाएंगे बल्कि शहर में भरोसे और सुरक्षित माहौल को भी मजबूत करेंगे।
