आयकर (संख्या 2) विधेयक लोकसभा से पारित, 63 साल पुराने कानून की जटिलता होगी आधी

नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025।
देश के करदाताओं के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है। 1961 के आयकर अधिनियम को बदलने वाला आयकर (संख्या 2) विधेयक सोमवार को लोकसभा से पास हो गया। दिलचस्प बात यह रही कि यह विधेयक विपक्षी बहस के बिना, लेकिन बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर INDIA गठबंधन के विरोध-शोर के बीच पारित हुआ।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक की मूल भावना को S.I.M.P.L.E. शब्द से जोड़ा है — Streamlined structure and language; Integrated and concise; Minimized litigation; Practical and transparent; Learn and adapt; Efficient tax reforms — यानी भाषा और ढांचे में सरलता, मुकदमों में कमी, पारदर्शिता और व्यावहारिक कर सुधार।

इससे पहले पेश किए गए मसौदे को बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली चयन समिति को भेजा गया था। समिति ने 285 सुझाव दिए, जिनमें से अधिकांश को शामिल कर लिया गया है। पांडा ने बताया कि नया विधेयक न केवल भाषा को आसान बनाता है, बल्कि व्यक्तिगत करदाताओं और MSMEs के लिए अनावश्यक मुकदमों से बचने का रास्ता भी खोलता है।

विधेयक की प्रमुख बातें

  • कर वापसी (Refund) का अधिकार अब देर से रिटर्न भरने वालों को भी।
  • TDS देर से जमा करने पर कोई आर्थिक जुर्माना नहीं।
  • बिना कर देनदारी वाले करदाता अग्रिम में ‘Nil-TDS Certificate’ ले सकेंगे।
  • पेंशनभोगियों को कम्यूटेड पेंशन पर स्पष्ट कर छूट।
  • कंपनियों को इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर फिर से कटौती का लाभ, जिससे डबल टैक्सेशन से बचाव।
  • मकान से आय पर कर गणना में 30% की मानक कटौती और ब्याज भुगतान की छूट, किराए के निर्धारण के लिए स्पष्ट नियम।
  • MSME की परिभाषा को MSME अधिनियम (2020) के अनुसार संरेखित किया गया।
  • नया ‘Tax Year’ लागू होगा, जिससे कर उसी वर्ष देना होगा जिसमें आय अर्जित हुई है।
  • अनावश्यक प्रावधान जैसे ‘Fringe Benefit Tax’ हटाए गए।

सबसे महत्वपूर्ण — मौजूदा कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

वित्त मंत्रालय का कहना है कि अदालतों द्वारा परिभाषित महत्वपूर्ण शब्द और वाक्यांश यथावत रहेंगे, जिससे पुराने फैसलों के आधार पर बने कर नियमों में कोई भ्रम न हो। नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।