नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025।
लोकसभा ने छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को बदलने के लिए आयकर विधेयक 2025 का संशोधित संस्करण पारित कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 अगस्त को यह नया विधेयक पेश किया, जिसमें चयन समिति (Select Committee) की अधिकतर सिफारिशों को शामिल किया गया है। यह विधेयक पिछले हफ्ते वापस लिए गए ड्राफ्ट का संशोधित रूप है।
पहला मसौदा इस साल फरवरी में पेश हुआ था, जिसे भारत के प्रत्यक्ष कर कानूनों में 60 साल बाद सबसे बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन सरकार ने पिछले सप्ताह उसमें सुधार और बदलाव करने के लिए इसे वापस ले लिया था।
सरल भाषा और करदाताओं के लिए फायदे
टैक्स विशेषज्ञ प्रीति शर्मा (BDO इंडिया) ने कहा कि नए कानून की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सरल भाषा है—
“अब आम आदमी इसे पुराने कानून के मुकाबले आसानी से समझ सकेगा।”
उन्होंने बताया कि नए विधेयक में बजट 2025 में घोषित नई कर प्रणाली को बरकरार रखा गया है और कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
संशोधित विधेयक की मुख्य बातें
- पेंशन पर स्पष्ट कर छूट: अब कुछ विशेष पेंशन फंड (जैसे LIC पेंशन फंड) से मिलने वाली एकमुश्त पेंशन पर कर छूट का स्पष्ट प्रावधान है, जो पहले ड्राफ्ट में अस्पष्ट था।
- एलएलपी पर वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) हटाया गया: पहले प्रस्तावित AMT को हटाकर कारोबार के लिए राहत दी गई।
- चैरिटेबल ट्रस्ट को राहत: पूंजीगत लाभ का पुनर्निवेश और अगले वर्ष में फंड खर्च करने की अनुमति फिर बहाल की गई।
- ट्रांसफर प्राइसिंग में ढील: ‘एसोसिएटेड एंटरप्राइज’ की परिभाषा को स्पष्ट किया गया ताकि प्रबंधन और नियंत्रण के मुद्दों में अनावश्यक विवाद न हों।
- व्यक्तिगत करदाताओं के लिए स्पष्टीकरण: हाउस प्रॉपर्टी से आय की गणना, म्युनिसिपल टैक्स कटौती के बाद मानक कटौती का तरीका, और निर्माण-पूर्व ब्याज की गणना पर स्पष्टता दी गई।
टैक्स विशेषज्ञ दिनेश कनाबार (Dhruva Advisors) ने इन बदलावों का स्वागत करते हुए कहा—
“यह संशोधित विधेयक दर्शाता है कि चयन समिति को दी गई प्रस्तुतियों का असर हुआ है। कई प्रावधानों में सुधार से न केवल कानूनी स्पष्टता आई है, बल्कि करदाताओं के लिए अनिश्चितता भी कम होगी।”
इस संशोधित विधेयक के लागू होने के बाद, कर प्रणाली में न केवल सरलता आएगी बल्कि लंबे समय से चली आ रही कर-संबंधी उलझनों का समाधान भी हो सकेगा।
