डिजिटल से बदली बस्तर की सेहत: कतारों से मुक्ति, इलाज में पारदर्शिता

रायपुर, 11 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में डिजिटल चिकित्सा सेवाओं ने स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर बदल दी है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में लागू की गई नेक्स्ट जेन ई-हॉस्पिटल प्रणाली, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने यहां स्वास्थ्य सेवाओं को नया रूप दे दिया है।

अब बस्तर, कांकेर, कोंडगांव, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के 6 जिला अस्पताल, 2 सिविल अस्पताल और 41 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ गए हैं। इससे मरीजों को ओपीडी पंजीकरण, परामर्श, जांच, दवा वितरण और मेडिकल रिकॉर्ड सब कुछ एक जगह उपलब्ध हो रहा है।

बस्तर जिला अस्पताल में सिर्फ मई-जून-जुलाई 2025 में 60,045 ओपीडी पंजीकरण हुए, जिनमें से 32,379 आभा आईडी से जुड़े थे। वहीं, दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में इसी अवधि में 33,895 ओपीडी पंजीकरण हुए, जिनमें 13,729 आभा आईडी से जुड़े थे।

“स्कैन एंड शेयर” सुविधा और आभा आईडी आधारित ऑनलाइन ओपीडी पंजीकरण से अब मरीजों को लंबी कतारों में खड़े रहने की जरूरत नहीं है। कुछ ही मिनटों में पंजीकरण हो जाता है और मरीज को समय पर उपचार मिलता है। इसके अलावा, मरीज को डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड भी मिलता है, जिसे वह देश के किसी भी हिस्से में देख सकता है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा, “यह पहल केवल बस्तर के लिए नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक आदर्श है। हम जल्द ही इसे सभी जिलों में लागू करेंगे, ताकि ‘स्वस्थ और सशक्त छत्तीसगढ़’ का सपना साकार हो सके।”

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि यह कदम सिर्फ डिजिटलीकरण नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने वाला सशक्त सेतु है। उन्होंने कहा, “जब तकनीक, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी एक साथ आती है, तो विकास कई गुना तेज हो जाता है।”

बस्तर के इस डिजिटल स्वास्थ्य मॉडल ने यह साबित कर दिया है कि सही दिशा में उठाए गए कदम से पारदर्शिता, गुणवत्ता और मरीजों की संतुष्टि—तीनों में एक साथ सुधार संभव है।