नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए आयकर विधेयक, 2025 को शुक्रवार को लोकसभा से वापस ले लिया। इसके स्थान पर एक नया, संशोधित विधेयक 11 अगस्त को संसद में पेश किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह प्रस्ताव विपक्ष के हंगामे के बीच सदन में रखा, जिसे मंजूरी मिलने के बाद पुराने विधेयक को औपचारिक रूप से वापस ले लिया गया।
यह बिल मूल रूप से 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया था और उसी दिन इसे बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा गया था। कमिटी ने 22 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें कई महत्वपूर्ण संशोधन सुझाए गए थे। सरकार की कैबिनेट ने इन सिफारिशों के आधार पर नए बिल के अपडेटेड संस्करण को मंजूरी दे दी है।
आयकर विभाग के मुताबिक, नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य कर कानून की भाषा को सरल और स्पष्ट बनाना है, साथ ही उन प्रावधानों को हटाना है जो अब आवश्यक नहीं हैं। विभाग ने साफ किया है कि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
सेलेक्ट कमिटी की सिफारिशों में एक अहम सुझाव है कि करदाता आयकर रिटर्न (आईटीआर) की अंतिम तारीख बीतने के बाद भी बिना पेनल्टी के टीडीएस रिफंड का दावा कर सकें। यह बदलाव खासकर उन करदाताओं के लिए राहत का संदेश है, जो समय पर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते।
सरकार का मानना है कि नया विधेयक लागू होने के बाद आयकर प्रणाली अधिक पारदर्शी, सरल और उपयोगकर्ता-हितैषी होगी। इसे संसद में पेश करने के बाद व्यापक चर्चा होगी और इसके पारित होते ही छह दशक से लागू पुराना ढांचा इतिहास बन जाएगा।
