नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025। केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किए गए आयकर विधेयक 2025 को औपचारिक रूप से वापस ले लिया है। अब बीजेपी सांसद बैजयंत जय पांडा की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए इसका नया संस्करण सोमवार को संसद में पेश किया जाएगा।
सरकार के अनुसार, पुराने विधेयक को वापस लेने और नया संस्करण लाने का उद्देश्य एक ही अपडेटेड ड्राफ्ट पेश करना है, जिससे भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।
श्री पांडा ने बताया कि नया कानून पारित होने के बाद भारत की दशकों पुरानी कर संरचना को सरल बनाएगा, कानूनी जटिलताओं को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं व एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमों से बचाएगा। उन्होंने कहा, “1961 का मौजूदा आयकर अधिनियम 4,000 से अधिक बार संशोधित हो चुका है और इसमें 5 लाख से ज्यादा शब्द हैं, जिससे यह अत्यधिक जटिल हो गया है। नया बिल इसे लगभग 50% तक सरल बनाता है, ताकि आम करदाता आसानी से इसे पढ़ और समझ सके।”
नए कानून से सबसे ज्यादा लाभ छोटे व्यवसायियों और एमएसएमई को होगा, जिन्हें जटिल टैक्स स्ट्रक्चर समझने के लिए कानूनी या वित्तीय विशेषज्ञता की कमी होती है।
सरकार का दावा है कि नए प्रावधान एक न्यायसंगत और संतुलित प्रत्यक्ष कर प्रणाली तैयार करेंगे, जिसमें कामकाजी और मध्यम वर्ग पर अतिरिक्त कर का बोझ नहीं पड़ेगा। कर स्लैब और दरों में बदलाव से मध्यम वर्ग को अधिक लाभ मिलेगा, जिससे उनकी बचत, निवेश और खपत बढ़ेगी।
वित्त अधिनियम 2025 के तहत, नई टैक्स व्यवस्था (धारा 115BAC) में कर छूट (धारा 87A) की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दी गई है और अधिकतम रिबेट ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है। इसके अलावा, ₹12 लाख से थोड़ी अधिक आय पर पहले की तरह मार्जिनल रिलीफ का प्रावधान भी लागू रहेगा। सरकार का कहना है कि नया आयकर बिल आम नागरिकों और छोटे व्यवसायों के लिए टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया को काफी आसान बना देगा।
