52 करोड़ का घोटाला! स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के बीच CGMSC वेयरहाउस में नहीं मिली ज़रूरी दवाएं

रायपुर, 7 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) एक बार फिर विवादों में है। इस बार मामला 52 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का है, जिसकी वजह से आज राज्य के कई अस्पतालों में ज़रूरी दवाओं और किटों की भारी किल्लत देखी जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल इन दिनों बस्तर के दौरे पर हैं, लेकिन उनके दौरे के बावजूद जगदलपुर और दंतेवाड़ा के CGMSC वेयरहाउस में न तो मलेरिया टेस्ट किट हैं और न ही रेबीज का टीका। दंतेवाड़ा में सिर्फ 10 यूनिट वैक्सीन उपलब्ध बताई जा रही है।

भाजपा नेता देवेंद्र किशोर गुप्ता ने इस पूरे मामले को उजागर करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, CGMSC की एमडी पद्मिनी भोई ने जानबूझकर कई दवा कंपनियों के भुगतान रोक दिए और रीजेंट घोटाले के मुख्य आरोपी मोक्षित कॉरपोरेशन को 52 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। इससे दवा खरीद का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया और कई ज़रूरी दवाओं की सप्लाई बंद हो गई।

गुप्ता ने कहा कि यही वजह है कि आज मलेरिया, रेबीज, कोविड जैसी बीमारियों की दवाएं, टेस्ट किट्स और वैक्सीन CGMSC के गोदामों में उपलब्ध नहीं हैं। कंपनियों ने बकाया भुगतान न मिलने पर सप्लाई रोक दी, और जिन कंपनियों को आंशिक भुगतान मिला, उन्होंने अपनी सप्लाई सीमित कर दी।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब CMHO स्तर पर ज़रूरी दवाओं की स्थानीय खरीदी का विकल्प मौजूद है, तब भी वहां मौके का फायदा उठाकर मनमाने रेट पर दवाएं खरीदी जा रही हैं। यानी भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक फैला है।

देवेंद्र किशोर गुप्ता ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो और अस्पतालों को जल्द से जल्द ज़रूरी दवाएं मुहैया कराई जाएं।