एकलव्य मॉडल स्कूलों में ड्रॉपआउट बढ़े, 2024-25 में 552 आदिवासी छात्र स्कूल छोड़ चुके, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में सर्वाधिक संख्या

नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025
आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किए गए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) से छात्रों के ड्रॉपआउट की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। वर्ष 2024-25 में 552 छात्रों ने स्कूल छोड़ा, जबकि 2021-22 में यह संख्या मात्र 111 थी। यह जानकारी लोकसभा में जनजातीय कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास उइके ने एक प्रश्न के उत्तर में दी।

2021-25 के बीच कुल 1,233 छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं, जिनमें हर साल आंकड़े बढ़ते गए—

  • 2021-22: 111
  • 2022-23: 241
  • 2023-24: 329
  • 2024-25: 552

छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्यप्रदेश इस साल के शीर्ष ड्रॉपआउट वाले राज्य रहे हैं।

राज्यवार विवरण

  • ओडिशा: 2023-24 में 84, और 2024-25 में 87 छात्र ड्रॉपआउट
  • छत्तीसगढ़: 2021-22 में केवल 2, पर 2024-25 में बढ़कर 88
  • मध्यप्रदेश: 2022-23 में सबसे अधिक 101, 2024-25 में 71
  • झारखंड: 2022-23 में 30, घटकर 2024-25 में 6
  • अन्य राज्य: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना

EMRS योजना की स्थिति
केंद्र सरकार द्वारा आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शुरू की गई यह योजना अब तक 728 स्कूलों में से 479 स्कूलों में लागू हो चुकी है (14 जुलाई 2025 तक)। इन स्कूलों में निशुल्क आवास, भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं, CBSE आधारित पाठ्यक्रम, और आधुनिक डिजिटल सुविधाएं दी जा रही हैं।

छात्रों को बनाए रखने के लिए उठाए गए कदम
राज्यमंत्री उइके ने बताया कि विशेष रूप से PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) छात्रों के लिए ड्रॉपआउट रोकने के प्रयास तेज किए गए हैं:

  • डिजिटल क्लासरूम
  • पौष्टिक भोजन
  • करियर काउंसलिंग
  • एआई और कोडिंग जैसे व्यावसायिक कोर्स
  • अतिथि शिक्षक व गैर-शिक्षकीय स्टाफ की नियुक्ति
  • जागरूकता अभियान और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच

सरकार ने इस योजना के लिए वित्तीय आवंटन को ₹1,200 करोड़ (2020-21) से बढ़ाकर ₹4,748.92 करोड़ (2024-25) कर दिया है, जिससे अधोसंरचना को मजबूत किया जा सके और शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाई जा सके।