एम्स रायपुर की माइक्रोबायोलॉजी विभाग अंतर्गत राज्य वायरोलॉजी अनुसंधान एवं निदान प्रयोगशाला (VRDL) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। इस प्रयोगशाला को राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशालाओं की प्रत्यायन बोर्ड (NABL) द्वारा पहली बार मान्यता प्राप्त हुई है। यह मान्यता 1 अगस्त 2025 को दी गई, जो इसे राज्य की सबसे उन्नत वायरोलॉजिकल परीक्षण प्रयोगशालाओं में शुमार कर देती है।
12 प्रमुख वायरस की पहचान में सक्षम
इस प्रयोगशाला को 12 घातक मानव विषाणुओं की पहचान के लिए मान्यता प्राप्त हुई है, जिनमें शामिल हैं:
- वायरल मैनिंजाइटिस / एन्सेफलाइटिस
- कोविड-19 (SARS-CoV-2)
- स्वाइन फ्लू (H1N1)
- इन्फ्लुएंजा बी
- RSV
- ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HR-HPV)
- एपस्टीन-बार वायरस (EBV)
- हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV)
- साइटोमेगालोवायरस (CMV)
- हेपेटाइटिस बी व सी (वायरल लोड)
- डेंगू
राज्य के लिए नोडल केंद्र
वर्ष 2018 में स्थापित यह लैब कोविड-19 की जांच, वायरल रोगों की पुष्टि, जीनोम अनुक्रमण और गुणवत्ता नियंत्रण जैसी जिम्मेदारियों के लिए राज्य का नोडल केंद्र रही है। यह न केवल एम्स रायपुर के मरीजों बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ से आए सैंपलों की जांच करती है।
प्रयोगशाला द्वारा चिकनपॉक्स, कंजंक्टिवाइटिस, मम्प्स जैसे रोगों के प्रकोप पर भी वैज्ञानिक नजर रखी जाती है।
नेतृत्व और टीमवर्क की मिसाल
एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने इस उपलब्धि को छत्तीसगढ़ की जनता को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं देने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
प्रो. (डॉ.) अनुदिता भार्गव ने इसे टीमवर्क और समर्पण का परिणाम बताया, वहीं प्रो. (डॉ.) संजय सिंह नेगी ने कहा कि यह मान्यता ISO 15189:2022 के अंतर्गत प्राप्त की गई है जो प्रयोगशाला की सटीकता और गुणवत्ता को दर्शाता है।
अथक परिश्रम करने वाली टीम
इस उपलब्धि को संभव बनाने में जिन विशेषज्ञों की अहम भूमिका रही, वे हैं:
- डॉ. माधवी मडके (सहायक प्रोफेसर)
- सीनियर रेजिडेंट्स: डॉ. सजीथा, डॉ. अतिश, डॉ. सुष्री, डॉ. गर्गी
- रिसर्च साइंटिस्ट-सी: श्री कुलदीप शर्मा, डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह
- साइंटिस्ट-बी: डॉ. रुचि खरे
- रिसर्च असिस्टेंट: श्री जियन चंद्रवंशी
- लैब टेक्नीशियन: श्री मोहम्मद रफीकुल्लाह खान, श्री हनुमान प्रसाद
- डाटा एंट्री ऑपरेटर: श्री कुशन परगनिहा
- एमटीएस: श्री अमित मिश्रा
- अन्य समर्पित अनुसंधान कर्मी
यह मान्यता न केवल एम्स रायपुर के लिए गौरव का विषय है, बल्कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को भी राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाली है।
