छत्तीसगढ़ में हरित विकास को नई दिशा: वन विभाग और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया संस्था के बीच एमओयू हस्ताक्षरित

रायपुर, 4 अगस्त 2025
छत्तीसगढ़ राज्य हरित विकास और सतत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुका है। आज रायपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में आयोजित पाँचवाँ भारत ग्रामीण संवाद – 2025 इस दिशा में एक ऐतिहासिक मंच सिद्ध हुआ। “गाँवों के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की हरित आर्थिक बदलाव की यात्रा” विषय पर केंद्रित इस संवाद में वन विभाग और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया संस्था के बीच हरित परिवर्तन हेतु एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।


🌱 हरित विकास की ओर राज्य सरकार का दूरदर्शी दृष्टिकोण

इस अवसर पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने वर्चुअल माध्यम से संवाद में शामिल होकर कहा –

“मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश में हरित विकास को लेकर ठोस प्रयास जारी हैं। जैविक खेती, सौर ऊर्जा, स्थानीय उत्पादन और पर्यावरणीय पर्यटन जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों की भागीदारी से राज्य को हरित और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।”

उपमुख्यमंत्री ने विशेष रूप से गाँवों को केंद्र में रखकर परंपरागत ज्ञान और संसाधनों के समावेशी उपयोग की वकालत की।


📜 पाँच स्तंभों पर आधारित हरित रणनीति

प्रबंधन संस्थान रायपुर ने हरित विकास के पाँच प्रमुख स्तंभ प्रस्तुत किए, जिनमें शामिल हैं:

  1. परंपरागत खेती एवं वन संसाधनों का संरक्षण
  2. हरित रोजगार एवं पर्यावरणीय पर्यटन
  3. स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा
  4. सौर ऊर्जा आधारित ग्राम-विद्युत प्रबंधन
  5. नीतिगत एवं संस्थागत ढांचे का निर्माण

🧑‍🤝‍🧑 सामुदायिक सहभागिता को मिलेगा बढ़ावा

कार्यक्रम में पंचायत प्रतिनिधियों, महिला समूहों, सामाजिक संगठनों, स्थानीय उद्यमियों और विशेषज्ञों ने भागीदारी की। उन्होंने जल संरक्षण, शिक्षा, पारंपरिक बीजों की उपलब्धता, रासायनिक खेती की निर्भरता और कचरा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर सार्थक चर्चा की।


🗣️ वरिष्ठ अधिकारियों की अहम भूमिकाएँ

  • श्रीमती ऋचा शर्मा (अपर मुख्य सचिव, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग) ने कहा कि राज्य की वन-समृद्ध संपदा और जनसहभागिता मिलकर हरित विकास का एक आदर्श मॉडल बना सकते हैं।
  • श्रीमती निहारिका बारिक सिंह (प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) ने कहा कि ग्राम पंचायतें हरित परिवर्तन की धुरी होंगी और महिलाएं नेतृत्व करेंगी।
  • श्री भीम सिंह (सचिव, पंचायत विभाग) ने कहा कि पंचायतों का मूल्यांकन अब जल संरक्षण, स्वच्छता और हरित मानकों के आधार पर होगा।
  • श्री राहुल भगत (सचिव, सुशासन अभिसरण विभाग) ने कहा कि हरित अर्थव्यवस्था को योजना नहीं, बल्कि समुदाय की भागीदारी के रूप में देखा जाना चाहिए।

💡 विशेषज्ञों के सुझाव

विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिए कि –

  • परंपरागत उद्योगों का पुनरुद्धार
  • घरेलू उद्योगों का पुनर्जीवन
  • हस्तशिल्प एवं जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग

जैसे प्रयासों से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती और हरित दिशा मिल सकती है।


🔚 निष्कर्ष

यह पहल छत्तीसगढ़ के लिए केवल एक पर्यावरणीय परियोजना नहीं, बल्कि ग्रामीण सशक्तिकरण, सतत विकास और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त अभियान है। यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाएं मिलकर जलवायु-संवेदनशील और जन-आधारित विकास के मॉडल को मूर्त रूप दे रही हैं।