रायपुर, 4 अगस्त 2025
छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल 5 से 7 अगस्त तक तीन दिवसीय बस्तर दौरे पर रहेंगे, जहां वे बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण करेंगे और नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रही योजनाओं की ज़मीनी प्रगति का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करेंगे।
✅ 130 स्वास्थ्य संस्थानों को मिला गुणवत्ता प्रमाणन
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2024 से 16 जून 2025 तक सिर्फ बस्तर संभाग में 130 स्वास्थ्य संस्थाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के तहत गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त हुआ है। इनमें 1 जिला अस्पताल, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 113 उप-स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।
नक्सल प्रभावित कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे जिलों के 14 संस्थानों को भी यह प्रमाणन मिला है, जो अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती को दर्शाता है।
✅ आयुष्मान भारत योजना से मिला राहत का सहारा
‘नियद नेल्लानार योजना’ के अंतर्गत बस्तर संभाग में 36,231 आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं और अब तक 52.6% कवरेज पूरा हो चुका है।
अब तक 6,816 हितग्राहियों को 8 करोड़ 22 लाख रुपये की चिकित्सा सहायता प्रदान की जा चुकी है। यह योजना गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा का मजबूत कवच बनकर उभरी है।
✅ विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति से सुधरी सेवाएं
पिछले डेढ़ वर्षों में बस्तर में सरकार ने 33 मेडिकल स्पेशलिस्ट, 117 मेडिकल ऑफिसर, 1 डेंटल सर्जन, 75 स्टाफ राज्य स्तर से, और 307 कर्मचारी जिला स्तर से नियुक्त किए हैं। इसके अतिरिक्त 291 पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रगति पर है।
✅ मलेरिया मुक्त बस्तर का सपना हो रहा साकार
मलेरिया मुक्त अभियान के अंतर्गत घर-घर जाकर जांच, उपचार और जागरूकता गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं, जिससे मलेरिया नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हो रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बस्तर को मलेरिया से पूर्ण मुक्ति दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
✅ जायसवाल का तीन दिवसीय दौरा – मुख्य बिंदु:
- बस्तर के प्रमुख अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण
- मलेरिया मुक्त अभियान की समीक्षा
- स्वशासी समिति की बैठकें
- सुकमा और बीजापुर जैसे अत्यंत दुर्गम गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का मूल्यांकन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर की स्थिति पर संतोष जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में यह बदलाव मितानिनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समर्पित सिस्टम की प्रतिबद्धता का नतीजा है। उन्होंने कहा कि सरकार बस्तर को स्वास्थ्य सेवाओं के नए मॉडल के रूप में विकसित कर रही है।
🔚 निष्कर्ष
बस्तर अब पिछड़ेपन और असुविधा की पहचान नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सुरक्षा और सुशासन का प्रतीक बनता जा रहा है। यह बदलाव दिखाता है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और ज़मीनी क्रियान्वयन साथ हों, तो देश का कोई भी कोना विकास से अछूता नहीं रह सकता।
