नई दिल्ली, 01 अगस्त 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके व्यापारिक दल ने भारत के रूस से तेल और रक्षा खरीद को लेकर नाराज़गी जताते हुए भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही अमेरिका ने संकेत दिया है कि भारत को अतिरिक्त दंड भी भुगतना पड़ सकता है।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने गुरुवार को CNBC को दिए एक इंटरव्यू में कहा,
“भारत वैश्विक मंच पर ‘महान भागीदार’ नहीं रहा है। उन्होंने रूस से बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित कच्चा तेल खरीदा और उसे परिष्कृत उत्पाद बनाकर बेचा। इससे अमेरिका में गहरी निराशा है।”
रूस-भारत व्यापार अमेरिका के गले नहीं उतर रहा
बेसेन्ट और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों ने साफ तौर पर कहा कि भारत की रूसी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाइयों को समर्थन दे रही है, जो कि भारत-अमेरिका संबंधों में एक बड़ी खटास बन चुकी है।
रुबियो ने Fox Radio को बताया,
“भारत रणनीतिक साझेदार है, लेकिन विदेश नीति में 100% सहमति संभव नहीं होती। भारत को ऊर्जा की ज़रूरतें हैं, और सस्ते रूसी तेल की उपलब्धता के चलते वो यह रास्ता अपना रहा है। मगर दुर्भाग्यवश यह रूस की सैन्य क्षमताओं को बनाए रखने में मदद करता है।”
ट्रंप का दबाव बनाने का तरीका?
विदेश नीति विशेषज्ञ प्रो. हर्ष वी. पंत के अनुसार, यह टैरिफ निर्णय केवल एक रणनीतिक दबाव है जिससे अमेरिका चाहता है कि भारत जल्दी से एक व्यापारिक समझौता साइन करे।
“ट्रंप ने जिस प्रकार टैरिफ की घोषणा की और उसे रूस से जुड़ी ऊर्जा खरीद से जोड़ा, यह स्पष्ट करता है कि भारत पर दबाव बनाया जा रहा है। साथ ही अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के साथ संभावित ऊर्जा समझौते की बात भी इसी दिशा में इशारा करती है।”
BRICS सदस्यता भी बनी कारण
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत पर लगाया गया टैरिफ आंशिक रूप से BRICS सदस्यता के कारण है। उन्होंने BRICS को “एंटी-अमेरिका” करार दिया है और संकेत दिए हैं कि यह संगठन अमेरिका के हितों के खिलाफ खड़ा हो रहा है।
भारत ने इस पूरे मसले पर अब तक संयमित प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं और टैरिफ के प्रभावों की समीक्षा की जा रही है।
निष्कर्ष
जहाँ एक ओर अमेरिका जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौतों को मजबूत कर रहा है, वहीं भारत के साथ रिश्तों में तल्खी बढ़ती दिख रही है। यह देखना अहम होगा कि भारत अपने रणनीतिक स्वाभिमान को बनाए रखते हुए इस संकट को कैसे संभालता है।
रूस से तेल खरीद पर अमेरिका नाराज़, भारत पर ट्रंप ने लगाए 25% टैरिफ – दबाव की राजनीति शुरू?
नई दिल्ली, 01 अगस्त 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके व्यापारिक दल ने भारत के रूस से तेल और रक्षा खरीद को लेकर नाराज़गी जताते हुए भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही अमेरिका ने संकेत दिया है कि भारत को अतिरिक्त दंड भी भुगतना पड़ सकता है।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने गुरुवार को CNBC को दिए एक इंटरव्यू में कहा,
रूस-भारत व्यापार अमेरिका के गले नहीं उतर रहा
बेसेन्ट और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों ने साफ तौर पर कहा कि भारत की रूसी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाइयों को समर्थन दे रही है, जो कि भारत-अमेरिका संबंधों में एक बड़ी खटास बन चुकी है।
रुबियो ने Fox Radio को बताया,
ट्रंप का दबाव बनाने का तरीका?
विदेश नीति विशेषज्ञ प्रो. हर्ष वी. पंत के अनुसार, यह टैरिफ निर्णय केवल एक रणनीतिक दबाव है जिससे अमेरिका चाहता है कि भारत जल्दी से एक व्यापारिक समझौता साइन करे।
BRICS सदस्यता भी बनी कारण
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत पर लगाया गया टैरिफ आंशिक रूप से BRICS सदस्यता के कारण है। उन्होंने BRICS को “एंटी-अमेरिका” करार दिया है और संकेत दिए हैं कि यह संगठन अमेरिका के हितों के खिलाफ खड़ा हो रहा है।
भारत ने इस पूरे मसले पर अब तक संयमित प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं और टैरिफ के प्रभावों की समीक्षा की जा रही है।
निष्कर्ष
जहाँ एक ओर अमेरिका जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौतों को मजबूत कर रहा है, वहीं भारत के साथ रिश्तों में तल्खी बढ़ती दिख रही है। यह देखना अहम होगा कि भारत अपने रणनीतिक स्वाभिमान को बनाए रखते हुए इस संकट को कैसे संभालता है।