“माधुरी को मिला नया जीवन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली आज़ादी – कोल्हापुर की जनता ने जताया भावुक विरोध”

कोल्हापुर, 01 अगस्त 2025
माधुरी, कोल्हापुर के नंदनी स्थित जैन मठ में तीन वर्ष की उम्र से पली-बढ़ी एक मादा हाथी, अब गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा (राधे कृष्ण मंदिर एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट) में एक नए जीवन की शुरुआत कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए माधुरी (जिसे पहले महादेवी के नाम से जाना जाता था) के पुनर्वास को हरी झंडी दे दी है।


जानवरों के कल्याण के लिए बड़ी जीत

यह मामला तब राष्ट्रीय सुर्खियों में आया जब PETA इंडिया ने महाराष्ट्र वन विभाग और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी (HPC) के समक्ष माधुरी की बिगड़ती हालत को लेकर चिंता जताई। रिपोर्ट में बताया गया कि माधुरी को वर्षों से ठोस फर्श पर रखने के कारण गंभीर गठिया, पैर सड़ने की बीमारी (फुट रॉट) और नाखूनों की तकलीफ से जूझना पड़ रहा था।

जैन मठ द्वारा इस फैसले को चुनौती देने की अपील 28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी धार्मिक परंपरा से पहले पशु की भलाई सर्वोपरि है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि माधुरी का ट्रांसफर अत्यधिक आरामदायक और सुरक्षा मानकों के साथ किया जाए।


वंतारा में एक नई शुरुआत

जामनगर का वंतारा एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट अपने जंजीर-मुक्त हाथियों और अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाओं के लिए जाना जाता है। यहाँ माधुरी को हाइड्रोथैरेपी और अन्य विशेष उपचार मिलेंगे जिससे उनके गठिया की समस्या में राहत मिलेगी।

PETA इंडिया की एडवोकेसी प्रमुख खुशबू गुप्ता ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा,

“हाथी संवेदनशील और बुद्धिमान जीव हैं। वे आज़ादी और परिवार के साथ जीवन के हकदार हैं। हमें गर्व है कि सुप्रीम कोर्ट ने माधुरी के गरिमामय जीवन के अधिकार को मान्यता दी।”


कोल्हापुर की भावुक अपील – “माधुरी को वापस भेजो”

हालांकि, कोल्हापुर में माधुरी के चाहनेवालों के लिए यह विदाई आसान नहीं रही। जैन मठ के अनुयायियों और आम नागरिकों ने भारी रैली और विदाई जुलूस निकालकर माधुरी को विदा किया। अब, सैकड़ों नागरिकों ने वंतारा ट्रस्ट को भावुक पत्र लिखकर माधुरी को वापस लाने की गुहार लगाई है।

एक पत्र में लिखा गया:

“माधुरी केवल एक हाथी नहीं, हमारी परिवार की सदस्य है। वह वर्षों से नंदनी में रही, हम सबकी खुशियों का केंद्र थी। हम जानते हैं कि आप उसकी अच्छी देखभाल कर रहे हैं, लेकिन उसका सच्चा घर कोल्हापुर है – उसकी यादों और उसके लोगों के बीच। कृपया हमारे भावनाओं को समझें और उसे वापस भेजें।”


धार्मिक परंपरा और पशु कल्याण के बीच संतुलन

PETA इंडिया और FIAPO (Federation of Indian Animal Protection Organisations) ने जैन मठ को मशीनी हाथी (Mechanical Elephant) दान करने की पेशकश की है। ये यांत्रिक हाथी दिखने में असली जैसे होते हैं और मंदिरों की धार्मिक परंपराओं को जीवित हाथियों के बिना भी पूरा कर सकते हैं – यह एक मानवीय और स्थायी समाधान के रूप में सामने आया है।


निष्कर्ष

माधुरी के लिए यह फैसला भले ही एक नई ज़िंदगी का दरवाज़ा खोलता है, लेकिन कोल्हापुर के दिलों में उसकी कमी अब भी महसूस की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक उदाहरण है कि कैसे पशु अधिकार, मानव भावना और धार्मिक परंपरा के बीच संतुलन बनाकर एक बेहतर और दयालु समाज की ओर बढ़ा जा सकता है।