दुर्ग, 31 जुलाई 2025/
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 25 जुलाई को कथित जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार हुईं दो केरल की ननों और एक युवक के पक्ष में नया बयान सामने आया है। इस मामले की मुख्य पीड़िता ने दावा किया है कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उससे जबरन झूठा बयान दिलवाया और पुलिस ने भी उसका असली बयान दर्ज नहीं किया।
पीड़िता का आरोप:
21 वर्षीय महिला ने कहा,
“मुझे अगवा नहीं किया गया था, मैं अपने माता-पिता की अनुमति से आगरा जा रही थी। वहाँ से भोपाल जाना था, जहाँ एक ईसाई अस्पताल में नौकरी मिलने वाली थी — 10,000 रुपये वेतन, भोजन, कपड़े और रहने की सुविधा।”
उसने बताया कि जब वह स्टेशन पर थी, तभी कुछ बजरंग दल के लोग आए, धमकी दी, गालियाँ दीं और मारपीट की।
“एक महिला ज्योति शर्मा ने मुझे रेलवे स्टेशन पर थप्पड़ मारा और कहा कि मुझे बयान बदलना होगा वरना मेरे भाई को जेल में डालकर पीटा जाएगा।”
पुलिस पर भी लगाए गंभीर आरोप:
पीड़िता ने आरोप लगाया कि GRP ने उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुए झूठा बयान लिखा, और जब उसने विरोध किया तो उसे चुप रहने के लिए कहा गया।
परिवार ने किया आरोपियों का समर्थन:
पीड़िता के माता-पिता ने भी कहा कि नन और युवक निर्दोष हैं और उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा से यात्रा की थी। परिवार ने तीनों की रिहाई की मांग की है।
बजरंग दल ने किया इनकार:
बजरंग दल दुर्ग इकाई के संयोजक रवि निगम ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा:
“हमने न किसी को मारा, न धमकाया। स्टेशन पर CCTV कैमरे लगे हैं, सच्चाई सामने आ जाएगी।”
पृष्ठभूमि:
25 जुलाई को बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत पर दुर्ग GRP ने ननों प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, व युवक सुखमन मंडावी को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि ये लोग नारायणपुर की आदिवासी महिलाओं को जबरन ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहे थे और उन्हें तस्करी के माध्यम से ले जाया जा रहा था।
