दुर्ग में दो ननों की गिरफ्तारी पर केरल और दिल्ली में उबाल, संसद से सड़क तक विरोध, केंद्र पर भेदभाव का आरोप

तिरुवनंतपुरम, 28 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के बाद मामला अब राजनीतिक और सामाजिक तनाव का रूप ले चुका है। शुक्रवार को मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीता मैरी के समर्थन में सोमवार को केरल और नई दिल्ली में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ।

विशेष बात यह रही कि इस विरोध ने सियासी एकता का स्वरूप भी अख्तियार कर लिया। केरल में सत्तारूढ़ LDF और विपक्षी UDF के सांसदों ने संसद के बाहर संयुक्त प्रदर्शन कर इस गिरफ्तारी को “अल्पसंख्यक विरोधी और झूठे आरोपों पर आधारित” बताया।

UDF का आरोप: बजरंग दल ने ‘कंगारू कोर्ट’ लगाई
UDF सांसदों ने बजरंग दल की भूमिका को ‘जबरन और भयावह’ बताते हुए कहा कि संघ परिवार के कार्यकर्ताओं ने स्टेशन पर अपनी अदालत लगा दी और ननों पर तीन महिलाओं (जिसमें एक आदिवासी शामिल) को धर्मांतरण हेतु आगरा ले जाने का झूठा आरोप लगाया।

LDF और UDF दोनों ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर बजरंग दल की लाइन पर चलने और बिना ठोस प्रमाण के ननों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आरोप लगाया।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने दिल्ली में मीडिया को बताया कि मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। हालांकि, उन्होंने बताया कि BJP केरल अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर, केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ प्रशासन, और कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) मिलकर ननों की रिहाई की दिशा में काम कर रहे हैं।

संसद में नोटिस, राज्य सरकारों का दबाव
LDF सांसद जॉन ब्रिटास ने राज्यसभा में गिरफ्तारी पर बहस के लिए नोटिस दिया और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर ननों की तत्काल रिहाई की मांग की।

इधर, केरल मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर “अन्यायपूर्ण हिरासत” के खिलाफ हस्तक्षेप की मांग की।

विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने सिस्टर प्रीता मैरी के एर्नाकुलम स्थित घर जाकर परिवार से मुलाकात की और गिरफ्तारी को “तानाशाही और फासीवादी” करार दिया। उन्होंने कहा, “BJP शासित राज्यों में पादरी और नन डर के साए में हैं। लोग ईस्टर और क्रिसमस जैसे पर्व भी छुपकर मना रहे हैं।”

केरल में चर्च का रोष
केरल की प्रसिद्ध Syro-Malabar चर्च की पत्रिका दीपिका ने BJP की नीति पर सवाल उठाते हुए लिखा, “केंद्र में सत्ता में आने के बाद से ईसाइयों पर हमले कई गुना बढ़ गए हैं। BJP के एक तरफ चर्च से नजदीकी के दावे हैं, तो दूसरी तरफ संघ परिवार के कार्यकर्ता उत्पीड़न करते हैं।”

ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के मेट्रोपॉलिटन युहानोन मार मेलेतियस ने तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि “दिल्ली में एक और चर्च नेताओं का सम्मान समारोह हो जाए, तो प्रदर्शन की जरूरत नहीं पड़ेगी,” इशारा 2023 के ईस्टर पर PM मोदी की मुलाकात की ओर था।

वाम सरकार का आक्रामक रुख
शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा, “चर्च केवल प्रार्थना कर रहा है। उन्हें प्रधानमंत्री के दरवाजे तक जाकर विरोध करना चाहिए।” आबकारी मंत्री एम. बी. राजेश ने कहा कि RSS के समर्थकों को समझना चाहिए कि RSS मुस्लिमों, ईसाइयों और वामपंथियों को देश के भीतर का दुश्मन मानता है।

VHP की प्रतिक्रिया
विश्व हिंदू परिषद (VHP) केरल महासचिव अनिल विलयिल ने गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए कहा कि CBCI मानव तस्करी के मामले को छुपा रही है। उन्होंने दावा किया कि ननों के साथ एक नाबालिग आदिवासी युवती भी थी।