दुर्ग, 28 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर अस्सीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ASMI) से जुड़ी दो कैथोलिक ननों और एक युवक को शनिवार, 26 जुलाई को मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ननों के साथ तीन युवतियां (आयु 18-19 वर्ष) भी थीं, जिन्हें नारायणपुर जिले से लेकर आगरा में घरेलू कार्य हेतु भेजा जा रहा था।
गिरफ्तार ननों की पहचान सिस्टर प्रीति मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस के रूप में हुई है, दोनों मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। उनके साथ नारायणपुर निवासी सुखमन मंडावी को भी गिरफ्तार किया गया है।
मामले की शुरुआत कैसे हुई?
घटना तब बढ़ी जब रेलवे टिकट परीक्षक ने स्टेशन पर टिकट के बारे में पूछताछ की। युवतियों और युवक ने बताया कि टिकट ननों के पास है। इसके बाद परीक्षक ने स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ताओं को सूचना दी, जो कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंच गए।
इसके बाद रेलवे पुलिस ने ननों, युवक और युवतियों को हिरासत में ले लिया। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने थाने में प्रदर्शन किया और पुलिस पर FIR दर्ज करने का दबाव बनाया। तीनों युवतियों को सरकारी आश्रय गृह भेज दिया गया, जबकि ननों और युवक को 8 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
ईसाई समुदाय का आरोप – जबरन बयान बदलवाए गए
रायपुर आर्चडायसीज के विकर जनरल फादर सेबेस्टियन पूमत्तम ने बताया कि युवतियों को आगरा में रसोई सहायिका की नौकरी दी जा रही थी, जिसकी मासिक वेतन ₹8,000 से ₹10,000 के बीच तय थी। उनके पास माता-पिता की लिखित सहमति थी और सभी बालिग थीं।
दिल्ली की कॉन्ग्रिगेशन ऑफ द होली फैमिली की सिस्टर आशा पॉल ने आरोप लगाया कि चर्च प्रतिनिधियों को ननों से मिलने नहीं दिया गया, और युवतियों से जबरन बयान बदलवाए गए। उन्होंने कहा, “हमारे पास सभी आवश्यक दस्तावेज़ हैं जो सिद्ध करते हैं कि कोई जबरदस्ती या धर्मांतरण नहीं किया गया।”
कानूनी धाराएं और राजनैतिक प्रतिक्रिया
पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 143 (मानव तस्करी) और छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1968 की धारा 4 के तहत केस दर्ज किया है।
इस गिरफ्तारी पर AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केंद्र गृह मंत्री और छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “संगठनों द्वारा मनमाने आरोप लगाकर अल्पसंख्यकों पर झूठे केस दर्ज कराना न्याय की हत्या है। पूरी प्रक्रिया राजनीतिक दबाव में की गई है।”
ईसाई संगठनों की चिंता – उत्पीड़न बढ़ रहा है
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (UCF) के अनुसार, भारत में ईसाइयों पर हमलों की संख्या 2014 में 127 से बढ़कर 2024 में 834 तक पहुंच गई है। एक स्थानीय पादरी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में चर्च, पादरी और संस्थानों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। राज्य सरकारें या तो चुप हैं या साथ दे रही हैं।”
