झालावाड़ (राजस्थान)। राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलौदी गांव में शुक्रवार को एक बड़ा हादसा हुआ, जब प्राथमिक विद्यालय का जर्जर भवन अचानक ढह गया, जिसमें 7 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह हादसा ना सिर्फ पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो गया, बल्कि सरकारी तंत्र की लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर गया।
🧒 मासूमों की पहचान और अंतिम विदाई
इस भयावह हादसे में जिन बच्चों की जान गई, उनमें शामिल हैं:
- मीना (12 वर्ष)
- कन्हा (6 वर्ष)
- पायल (12 वर्ष)
- प्रियंका (12 वर्ष)
- कुंदन (12 वर्ष)
- हरीश (8 वर्ष)
- कार्तिक
कन्हा सबसे छोटा पीड़ित था। शनिवार सुबह गांव में गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें पांच बच्चों का एक साथ एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया, जबकि दो अन्य को अलग-अलग दफनाया गया।
💔 “काश भगवान मुझे ले लेते…” – मां का हृदयविदारक क्रंदन
मीना और कन्हा की मां का दर्द बयान करना भी कठिन था। उन्होंने पीटीआई से कहा,
“मेरे पास केवल दो बच्चे थे, अब कुछ नहीं बचा… घर सूना हो गया है। आंगन में खेलने वाला कोई नहीं रहा। काश भगवान मुझे ले लेते और मेरे बच्चों को छोड़ देते।”
❓ अध्यापकों की भूमिका पर सवाल
एक अन्य महिला ने आरोप लगाए कि घटना के वक्त स्कूल के शिक्षक बच्चों को छोड़कर बाहर चले गए थे।
उन्होंने कहा, “टीचर बाहर क्या कर रहे थे? बच्चों को क्यों अकेला छोड़ा?” इस सवाल ने पूरे प्रशासन को कठघरे में ला खड़ा किया है।
🏥 मर्चुरी के बाहर मातम का मंजर
झालावाड़ के SRG अस्पताल की मर्चुरी के बाहर का दृश्य किसी कालखंड के सबसे दर्दनाक पलों में से एक था। माता-पिता अपने मासूम बच्चों की लाशों को गले से लगाकर रोते-बिलखते नजर आए। कुछ माताएं अपने बच्चों के शवों को छोड़ने को तैयार नहीं थीं, वहीं कई परिजन स्तब्ध अवस्था में जमीन पर बैठे नजर आए।
🔍 उच्च स्तरीय जांच के आदेश, 5 कर्मचारी निलंबित
हादसे के तुरंत बाद राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी किए हैं।
झालावाड़ जिला कलेक्टर अजय सिंह ने पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी और कहा कि
“5 स्कूल स्टाफ को सस्पेंड कर दिया गया है। जांच कमेटी गठित की गई है। जरूरत पड़ी तो FIR दर्ज होगी और सस्पेंशन को बर्खास्तगी में बदला जाएगा।”
💸 सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
राजस्थान सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री ने ऐलान किया है कि प्रत्येक मृतक के परिजनों को ₹10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही घायलों के इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी।
🚨 लापरवाही से गई मासूम जानें: कौन जिम्मेदार?
इस हादसे ने स्कूलों की जर्जर इमारतों की स्थिति और उनकी नियमित निगरानी की आवश्यकता को उजागर किया है। यदि समय रहते निरीक्षण हुआ होता और बच्चों को सुरक्षित इमारतों में शिफ्ट किया गया होता, तो ये मासूम जानें बचाई जा सकती थीं।
