लखनऊ, 26 जुलाई 2025: कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर देश भर में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है, लेकिन लखनऊ निवासी शहीद राइफलमैन सुनील महत की मां बीना महत के लिए यह दिन केवल एक रस्मी तारीख नहीं, बल्कि भावनाओं और यादों का समुंदर है।
बीना महत पहली बार उस भूमि पर पहुंचीं जहां 25 साल पहले उनके बेटे ने भारत मां की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन्होंने नम आंखों से कहा,
“मुझे यकीन है कि वो ऊपर से मुझे देख रहा होगा। मैं प्रार्थना करती हूं कि उसकी आत्मा को शांति मिले। मुझे नहीं पता कि मैंने ऐसी कौन सी गलती की थी कि मुझे अपने बेटे को खोना पड़ा।”
1999: भारत के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय
1999 का साल भारत के सैन्य इतिहास में ‘अभूतपूर्व वीरता’ के रूप में दर्ज है। लगभग 60 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने न केवल दुश्मन को पीछे धकेला, बल्कि टाइगर हिल, तोलोलिंग, प्वाइंट 5140 और प्वाइंट 4875 जैसी महत्वपूर्ण चोटियों को दुबारा हासिल किया।
भारत ने इस युद्ध में 527 जवानों को खोया और 1300 से अधिक घायल हुए। कारगिल युद्ध ने न केवल पाकिस्तान की कुटिल रणनीति को विफल किया बल्कि भारतीय सेना की वीरता का लोहा भी पूरी दुनिया ने माना।
शहीद सुनील महत की वीरगाथा
शहीद सुनील महत, लखनऊ के एक साधारण परिवार से थे। 19 वर्ष की आयु में ही वह भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। कारगिल युद्ध के दौरान वह जम्मू-कश्मीर राइफल्स की यूनिट के साथ द्रास सेक्टर में तैनात थे।
3 जुलाई 1999 को टाइगर हिल के पास एक निर्णायक मुठभेड़ में दुश्मनों की गोलियों से लड़ते हुए उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
उनकी मां बीना बताती हैं कि,
“सुनील हमेशा कहता था कि अगर मैं युद्ध में गया, तो वापिस आने की चिंता मत करना… मैं तिरंगे में लौटूंगा।”
कारगिल के अन्य वीर योद्धा
भारत के उन बहादुर सपूतों की कहानियाँ आज भी हर भारतीय को गर्व से भर देती हैं:
1. कैप्टन विक्रम बत्रा (“शेरशाह”)
‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर लोगों के दिलों में जगह बना चुके विक्रम बत्रा ने प्वाइंट 4875 पर दुश्मनों को करारा जवाब दिया और वीरगति को प्राप्त हुए। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र मिला।
2. लेफ्टिनेंट मनोज पांडे
बाटलिक सेक्टर में दुश्मनों को खदेड़ते हुए शहीद हुए। अंतिम क्षणों तक लड़ते हुए उन्होंने खालुबार टॉप को फतह किया। उन्हें भी मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।
3. राइफलमैन संजय कुमार
तीन गोलियां लगने के बाद भी उन्होंने लड़ाई नहीं छोड़ी। पाकिस्तानी बंकर पर कब्जा कर भारतीय ध्वज फहराया। उन्हें भी परमवीर चक्र मिला।
4. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
तीन बंकर पर एक-एक कर हमला कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद मोर्चे पर डटे रहे। उन्हें भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
कारगिल युद्ध की प्रमुख तारीखें
- 3 मई 1999: चरवाहों द्वारा घुसपैठ की सूचना।
- 26 मई: भारतीय वायुसेना द्वारा ऑपरेशन सफेद सागर की शुरुआत।
- 4 जुलाई: भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा किया।
- 26 जुलाई: भारत की जीत की घोषणा – ‘ऑपरेशन विजय’ सफल।
आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा
शहीद सुनील महत और उनके जैसे अन्य वीरों की कहानियां आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। बीना महत ने अंत में कहा:
“मेरा बेटा तो चला गया, लेकिन उसके जैसे हजारों बेटे आज भी देश की रक्षा में लगे हैं। मैं उन सबकी मां हूं।”
