भारत में बेरोजगारी की समस्या गहराई: नौकरियों की कमी के पीछे ये हैं प्रमुख कारण

24 जुलाई 2025, नई दिल्ली
भारत में बेरोजगारी की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। देश की बड़ी आबादी में युवाओं की संख्या अधिक होने के बावजूद रोजगार के अवसर सीमित हैं। सरकार द्वारा विभिन्न रोजगार योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनका प्रभाव संतोषजनक नहीं रहा है।

🔍 नौकरियों की कमी के पीछे प्रमुख कारण

1. ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव:
तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन के कारण परंपरागत नौकरियों की आवश्यकता कम हो गई है। कई कंपनियां अब मशीनों से काम करवा रही हैं, जिससे मानव श्रम की मांग घट रही है।

2. औद्योगिक विकास की धीमी गति:
देश में उद्योगों का विकास अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रहा है। खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश और उत्पादन धीमा पड़ा है, जिससे रोजगार सृजन नहीं हो पा रहा है।

3. कौशल की कमी (Skill Gap):
बड़ी संख्या में युवा डिग्रीधारी हैं, लेकिन उनमें व्यावसायिक कौशल की कमी है। कंपनियों को ऐसे योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे जो मौजूदा तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।

4. कृषि पर अधिक निर्भरता:
अब भी देश की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, जो मौसमी और अस्थायी रोजगार प्रदान करता है। स्थायी आय और नौकरी के अवसरों की यहां कमी है।

5. सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या:
हर साल लाखों उम्मीदवार सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन उपलब्ध पद बहुत कम होते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की संख्या और प्रक्रिया भी बहुत लंबी और जटिल है।

6. स्टार्टअप और MSME क्षेत्र में गिरावट:
स्टार्टअप्स और लघु-मध्यम उद्योग (MSME) क्षेत्र में आर्थिक अस्थिरता और फंडिंग की कमी के कारण नौकरियां कम हो रही हैं।

📊 स्थिति पर विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को शिक्षा प्रणाली में बदलाव कर छात्रों को उद्योग-उपयोगी कौशल देना चाहिए। साथ ही, स्टार्टअप्स और MSME सेक्टर को अधिक समर्थन दिया जाना चाहिए ताकि वे अधिक रोजगार उत्पन्न कर सकें।

🛠️ समाधान के सुझाव

  • व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Training) को बढ़ावा देना
  • तकनीकी शिक्षा को उद्योग से जोड़ना
  • डिजिटल स्किल्स पर विशेष ध्यान
  • नए उद्योगों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीति
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों की स्थापना

निष्कर्ष:

भारत में बेरोजगारी एक बहुआयामी समस्या बन चुकी है, जिसका समाधान केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि शिक्षा, कौशल विकास और नीति में व्यापक बदलाव से ही संभव है।