नई दिल्ली, 24 जुलाई 2025:
नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया को चार शो-कॉज़ नोटिस जारी किए हैं। ये नोटिस केबिन क्रू के रेस्ट और ड्यूटी नॉर्म्स, ट्रेनिंग नियमों और संचालन प्रक्रियाओं के उल्लंघन से जुड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई एयर इंडिया द्वारा पिछले महीने की गई स्वैच्छिक सूचनाओं के आधार पर की गई है।
DGCA ने 23 जुलाई को यह नोटिस एयर इंडिया को भेजे, जो कि 20 और 21 जून को एयरलाइन द्वारा किए गए स्वैच्छिक खुलासों पर आधारित हैं। एयर इंडिया ने इन नोटिसों की पुष्टि करते हुए कहा कि वह निर्धारित समय के भीतर उचित जवाब देगा और यात्री एवं क्रू सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है।
✈️ एयर इंडिया का आधिकारिक बयान:
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा,
“हमने पिछले एक वर्ष में किए गए स्वैच्छिक खुलासों से संबंधित DGCA के नोटिस प्राप्त किए हैं। हम निर्धारित समयसीमा के भीतर इनका उत्तर देंगे। हमारी प्राथमिकता हमेशा से क्रू और यात्रियों की सुरक्षा रही है।”
🧑✈️ किन नियमों का हुआ उल्लंघन?
तीन शो-कॉज़ नोटिस 20 जून को की गई स्वैच्छिक जानकारी पर आधारित हैं, जिसमें कम से कम चार अल्ट्रा लॉन्ग हॉल उड़ानों में केबिन क्रू की ड्यूटी और रेस्ट से जुड़े नियमों का उल्लंघन पाया गया। ये उड़ानें 27 अप्रैल (दो बार), 28 अप्रैल और 2 मई 2024 को संचालित की गई थीं।
इसके अलावा, 24 जून 2024 और 13 जून 2025 को संचालित कुछ उड़ानों में भी फ्लाइट ड्यूटी पीरियड और वीकली रेस्ट के नियमों के उल्लंघन की बात सामने आई है।
🧑🏫 ट्रेनिंग में भी गड़बड़ी:
एक अन्य शो-कॉज़ नोटिस 21 जून को एयर इंडिया द्वारा की गई जानकारी के आधार पर है, जिसमें केबिन क्रू ट्रेनिंग और संचालन प्रक्रियाओं में त्रुटियां पाई गईं।
ये त्रुटियां 10-11 अप्रैल, 16 फरवरी से 19 मई और 1 दिसंबर 2024 के बीच कुछ उड़ानों में सामने आईं।
📌 DGCA की सख्ती
DGCA हाल के वर्षों में सुरक्षा और नियमों को लेकर कड़ा रुख अपनाए हुए है। एयर इंडिया की ओर से हुई इन खुलासों पर निगरानी रखते हुए यह कार्रवाई की गई है। DGCA की यह सख्ती यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सभी एयरलाइंस संचालन के तय मानकों का पालन करें।
✅ निष्कर्ष:
एयर इंडिया को DGCA की ओर से चार शो-कॉज़ नोटिस मिलना भारतीय एविएशन सेक्टर में गंभीर मुद्दों की ओर इशारा करता है। इस प्रकरण से यह भी स्पष्ट होता है कि सुरक्षा मानकों के उल्लंघन पर अब सख्त नजर रखी जा रही है, चाहे खुलासे स्वैच्छिक ही क्यों न हों।
