2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट ने बंबई हाईकोर्ट के बरी करने के फैसले पर लगाई रोक

नई दिल्ली, 24 जुलाई 2025:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए 12 आरोपियों की बरी किए जाने के निर्णय पर आंशिक रोक लगा दी है। हालांकि, पूर्व दोषियों को दोबारा जेल भेजने की जरूरत नहीं है।


⚖️ क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?

न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को MCOCA मामलों में नजीर (precedent) के तौर पर इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया। साथ ही, पूर्व दोषियों को नोटिस जारी किया है और राज्य सरकार की अपील स्वीकार कर ली गई है।


🧑‍⚖️ महाराष्ट्र सरकार की दलील

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो महाराष्ट्र की ओर से पेश हुए, ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला कई लंबित MCOCA मामलों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि उसमें कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की गई हैं। उन्होंने इस फैसले पर तत्काल रोक लगाने की अपील की।


📌 हाईकोर्ट ने क्यों किया था बरी?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में 18 साल पुराने इस आतंकी हमले के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि प्रॉसिक्यूशन आरोपियों के खिलाफ दोष साबित करने में विफल रहा। हाईकोर्ट ने MCOCA स्पेशल कोर्ट के 2015 के फैसले को पलट दिया था, जिसमें 5 आरोपियों को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।


💥 क्या हुआ था 11 जुलाई 2006 को?

  • 11 जुलाई 2006, शाम 6:23 से 6:29 बजे के बीच, मुंबई की 7 लोकल ट्रेनों में पहली श्रेणी डिब्बों में 7 बम धमाके हुए थे।
  • ये धमाके संगठित और समन्वित थे।
  • हमले में 187 लोगों की मौत हुई थी और 824 से अधिक लोग घायल हुए थे।
  • यह घटना भारत के इतिहास की सबसे घातक आतंकी घटनाओं में से एक मानी जाती है।

🔍 सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुंदरेश ने कहा कि “कुछ आरोपी पाकिस्तानी नागरिक लगते हैं।” राज्य सरकार ने बताया कि वे हमले को अंजाम देने के बाद भारत से फरार हो गए थे। उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया।


🧾 निष्कर्ष

यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली की जटिलता और लंबी कानूनी प्रक्रिया को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यह सुनिश्चित करता है कि हाईकोर्ट का फैसला अन्य आतंकवाद मामलों पर प्रभाव न डाले, जबकि पूर्व दोषियों की अस्थायी स्वतंत्रता बनी रहे