छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी बनी जीवनशैली, 16 लाख से अधिक युवा पंजीकृत, दो साल से सरकारी नौकरी शून्य

रायपुर, 22 जुलाई 2025 — छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी अब सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि एक जीवन की सच्चाई बन गई है। प्रदेश में 16.24 लाख से अधिक बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं, लेकिन पिछले 18 महीनों में एक भी सरकारी नौकरी नहीं दी गई है। यह खुलासा तब हुआ जब कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया, और सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया।

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने जब सवाल मिलने पर कहा – “देखता हूं, बाद में बताऊंगा।”
यानी, 16 लाख बेरोजगारों के भविष्य पर सिर्फ एक टालमटोल भरा जवाब।


📚 पढ़ाई पूरी, नौकरी अधूरी

दुर्ग के सतीश निषाद 2015 से शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हैं। अब तक ना नौकरी मिली, ना परीक्षा।

“2023 के भाजपा घोषणा पत्र में 57,000 शिक्षक पदों का वादा था। अब संख्या घटाकर 22,464 कर दी गई है। दो साल में एक भी भर्ती नहीं हुई,”
— कहते हैं सतीश, जिनकी मां अब इस दुनिया में नहीं और पिता सेवानिवृत्त हैं।

जांजगीर की मंजू ठाकरे कहती हैं,

“घर वाले कहते हैं शादी कर लो, लेकिन मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं। हर साल परीक्षा का वादा आता है, और फिर टल जाता है।”


📉 बेरोजगारी के आंकड़े — एक राज्य की असलियत

  • 16.24 लाख पंजीकृत बेरोज़गार युवा
  • जनवरी 2024 से जून 2025 तक सरकारी नौकरी में भर्ती: 0
  • प्राइवेट एजेंसियों के माध्यम से भर्ती (2024): 6,279
  • प्राइवेट नौकरी में भर्ती (2025, अब तक): सिर्फ 883
  • सरकारी वेतनमान या जॉब सुरक्षा? कोई जानकारी नहीं।

💬 “हम हिंदी मीडियम के हैं, हमें कौन रखेगा?”

सुलोचनी कुम्भकार, जो शिक्षक बनने की तैयारी कर रही हैं, कहती हैं:

“हम हिंदी माध्यम से पढ़े हैं। प्राइवेट स्कूल भी हमें नौकरी नहीं देते। अगर सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो जाएं तो कहां?”


📍 बेरोजगारी के हॉटस्पॉट जिले

  • दुर्ग: 1.13 लाख बेरोज़गार
  • बिलासपुर: 1.05 लाख
  • जांजगीर-चांपा: 1 लाख से अधिक

इन जिलों की बेरोजगार आबादी कई छोटे शहरों से अधिक है — ये सिर्फ संख्या नहीं, एक पूरी पीढ़ी की हताशा का चेहरा है।


🎭 ‘सुशासन तिहार’ में 4,373 युवाओं ने मांगी नौकरी

साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने ‘सुशासन तिहार’ मनाया। लेकिन इस दौरान ही 4,373 बेरोजगार युवाओं ने औपचारिक रूप से नौकरी के लिए आवेदन किया, जो इस “तिहार” की वास्तविकता उजागर करता है।


⚠️ नौकरी की तलाश में मौत तक

दिसंबर 2024 में दंतेवाड़ा के 40 से अधिक आदिवासी युवा हैदराबाद की फैक्ट्रियों में काम करने गए, लेकिन वहां से बीमार, अपंग या मृत होकर लौटे। मजबूरी ने उन्हें जोखिम उठाने पर मजबूर किया, लेकिन सरकार की चुप्पी अब भी बरकरार है।


🔥 कांग्रेस का हमला

कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश ने कहा,

“यह सरकार महिलाओं, युवाओं और किसानों की बात करती है, लेकिन रोजगार पर ना डेटा है, ना दिशा। सिर्फ नारे और प्रचार।”