बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग की सफाई, आधार नहीं माना जा सकता प्रमाण

नई दिल्ली:
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चल रहे विशेष तीव्र पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर उठी चिंताओं के बीच, चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में स्पष्ट किया है कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं माना जा सकता।

आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भले ही नागरिकता के निर्धारण का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए नागरिकता की पुष्टि करना आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

आयोग की प्रमुख बातें:

  • आधार कार्ड को नागरिकता प्रमाण नहीं माना जा सकता, यह कई हाईकोर्टों द्वारा भी स्पष्ट किया गया है।
  • वोटर आईडी सिर्फ वर्तमान मतदाता सूची को दर्शाता है, यह पूर्ववर्ती पात्रता नहीं दिखाता।
  • राशन कार्ड फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए हैं, सरकार ने भी मार्च में 5 करोड़ से अधिक फर्जी राशन कार्ड हटाने का दावा किया था।

11 दस्तावेजों की सूची पर विवाद

SIR प्रक्रिया के तहत, आयोग ने 11 प्रकार के दस्तावेजों की सूची दी है जो पात्रता सिद्ध करने के लिए स्वीकार्य होंगे। लेकिन इसमें आधार कार्ड शामिल नहीं है। आयोग ने यह भी कहा कि यह सूची सूचकात्मक (indicative) है, पूर्ण नहीं। यानी ज़िला निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ERO) अन्य दस्तावेज भी स्वीकार कर सकते हैं।

कौन-कौन से दस्तावेज मांगे जा रहे हैं?

आयोग ने उम्र के आधार पर अलग-अलग दस्तावेज मांगे हैं:

  • 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों से सिर्फ स्वयं का जन्म स्थान या तिथि से जुड़े दस्तावेज।
  • 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों से स्वयं और माता-पिता में से एक का दस्तावेज।
  • 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों से स्वयं और दोनों माता-पिता के दस्तावेज।

राजनीतिक दलों की चिंता

विपक्षी दलों और नागरिक समाज संगठनों ने आशंका जताई है कि इससे असली मतदाताओं के नाम भी हटाए जा सकते हैं, क्योंकि वे तयशुदा दस्तावेज़ नहीं दे पाएंगे। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि यह प्रक्रिया एनआरसी (NRC) को पिछले दरवाज़े से लागू करने की कोशिश है।

आयोग की प्रतिक्रिया

  • आयोग ने कहा कि किसी व्यक्ति को मतदाता सूची से अयोग्य ठहराया जाना, उसकी नागरिकता समाप्त नहीं करता।
  • नागरिकता कानून की धारा 9 और 10 का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि वोटर सूची के लिए पात्रता जांचना संविधान के अनुच्छेद 324 और 326 के तहत उसका दायित्व है।
  • प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी नागरिकता के प्रमाण रखने की जिम्मेदारी है, न कि राज्य सरकारों के पास।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को सुनवाई के दौरान SIR पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन आयोग को यह सुझाव दिया था कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी दस्तावेजों में शामिल करने पर विचार किया जाए। अब यह मामला 28 जुलाई को फिर से सुनवाई में आएगा।