नई दिल्ली, 22 जुलाई 2025:
चीन ने तिब्बत की यारलुंग जांगबो नदी (जो भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना नदी के नाम से जानी जाती है) पर एक मेगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। यह परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर स्रोत बन सकती है, जिसका उद्देश्य 167 बिलियन डॉलर (लगभग ₹14 लाख करोड़) की लागत से बिजली उत्पादन को तीन गुना बढ़ाना है।
यह परियोजना तिब्बत के न्यिंग्ची शहर में हिमालय की तलहटी में शुरू की गई है, जो भारत की सीमा से महज 30 किलोमीटर दूर स्थित है। चीनी प्रधानमंत्री ली क्विआंग ने शनिवार को इस मेगाप्रोजेक्ट की आधारशिला रखी।
🏗️ परियोजना का स्वरूप और उद्देश्य
- परियोजना में पाँच विशाल हाइड्रोपावर स्टेशन शामिल होंगे।
- उत्पन्न बिजली तिब्बत की स्थानीय आवश्यकताओं के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों को भी भेजी जाएगी।
- यह परियोजना चीन के कार्बन न्यूट्रैलिटी लक्ष्यों और तिब्बत क्षेत्र के आर्थिक विकास से भी जुड़ी है।
चीनी सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, इस डैम से उत्पादित बिजली Three Gorges Dam से तीन गुना अधिक हो सकती है।
🌏 पर्यावरण और राजनीतिक विवाद
- यारलुंग जांगबो को तिब्बतियों के लिए पवित्र नदी माना जाता है। यह दुनिया की सबसे ऊँचाई पर बहने वाली नदी है, जिसकी ऊँचाई लगभग 5,000 मीटर (16,404 फीट) है।
- Tibet Plateau एशिया की दस प्रमुख नदियों का स्रोत है और लगभग 1.3 अरब लोगों को जल आपूर्ति करता है।
पर्यावरणविदों और तिब्बती संगठनों ने आशंका जताई है कि इससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को गहरा नुकसान हो सकता है।
🇮🇳 भारत की चिंता और जवाब
भारत ने जनवरी में चीन से इस परियोजना पर चिंता जताई थी, विशेषकर इसके डाउनस्ट्रीम प्रभावों को लेकर।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था:
“भारत इस परियोजना की निगरानी कर रहा है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।“
इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि:
“परियोजना का निचले इलाकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा और चीन नीचे के देशों से संवाद बनाए रखेगा।”
⛔ पिछला अनुभव: Three Gorges Dam विवाद
- चीन का Three Gorges Dam, जिसे 2003 में पूरा किया गया था, ने लगभग 14 लाख लोगों को विस्थापित किया था।
- तिब्बत में अपेक्षाकृत कम जनसंख्या है, लेकिन 2015 में यागेन हाइड्रोपावर स्टेशन के लिए भी लगभग 2,000 लोगों का पुनर्वास किया गया था।
🔍 भू-राजनीतिक चिंता: सीमावर्ती इलाका
इस डैम का निर्माण भारत-चीन सीमा से मात्र 30 किमी दूर हो रहा है, जहां दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र है और हजारों सैनिक तैनात हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की बड़ी परियोजनाएं राजनीतिक और सामरिक तनावों को बढ़ा सकती हैं, खासकर जब दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी पहले से मौजूद हो।
