जशपुर की दो नाबालिग आदिवासी बच्चियों को बंधुआ मजदूरी से किया गया रेस्क्यू, पुलिसकर्मी पर शोषण का आरोप

रायपुर, 21 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की दो नाबालिग आदिवासी बच्चियों को बंधुआ मजदूरी और शारीरिक शोषण के आरोपों के बाद बिलासपुर में पुलिस ने रेस्क्यू किया है। 13 और 16 वर्ष की इन लड़कियों को शिक्षा दिलाने के नाम पर उनके गांव से लाया गया था, लेकिन उन्हें एक पुलिसकर्मी के सरकारी क्वार्टर में घरेलू नौकरानी बनाकर रखा गया।

बिलासपुर पुलिस अधीक्षक राजनेश सिंह ने बताया कि लड़कियों को कथित रूप से पुलिसकर्मी अरुण लकड़ा के रिश्तेदारों के घर रखा गया था, जहां उनसे झाड़ू-पोंछा, बर्तन धोने जैसे घरेलू काम जबरन करवाए जाते थे। विरोध करने पर उन्हें मारपीट और धमकियों का सामना करना पड़ता था।

मारपीट से तंग आकर भागीं लड़कियां

20 जुलाई को लड़कियां मारपीट से तंग आकर वहां से भाग निकलीं और जशपुर लौटने की योजना बनाई। रास्ता भटक जाने के कारण वे रोती हुईं स्थानीय लोगों को मिलीं, जिन्होंने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद एक महिला पुलिस अधिकारी को मौके पर भेजा गया और लड़कियों को सखी सेंटर में शिफ्ट किया गया।

पुलिसकर्मी ने दी सफाई, लेकिन जांच जारी

आरक्षक अरुण लकड़ा का दावा है कि उसने लड़कियों को उनके पिता के अनुरोध पर शिक्षा के लिए बुलाया था और किसी तरह के शोषण या श्रम से इनकार किया है। हालांकि, पुलिस अधीक्षक राजनेश सिंह ने कहा कि मामले की जांच चाइल्ड ट्रैफिकिंग (बाल तस्करी) के एंगल से भी की जा रही है।

परिवार को बुलाया गया, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी दर्ज करेगी बयान

पीड़ित बच्चियों के परिजनों को जशपुर से बिलासपुर बुलाया गया है, और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) उनके बयान दर्ज करने के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी। अधिकारियों ने परिवार से संपर्क कर बच्चियों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था शुरू कर दी है।