कांकेर, छत्तीसगढ़ | 21 जुलाई 2025:
कांकेर जिले के कई गांवों ने जल और मिट्टी संरक्षण के लिए स्टैगर्ड कंटूर ट्रेंचिंग (Staggered Contour Trenching – SCT) को अपनाकर एक नई मिसाल कायम की है। यह पहल न केवल पर्यावरण सुधार में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही है।
इस क्रांति की शुरुआत कोकनपुर गांव से हुई, जहां 1400 एकड़ के एक पहाड़ी क्षेत्र को फिर से हराभरा बनाने के लिए एससीटी का प्रयोग शुरू किया गया। कभी हरियाली से लहलहाने वाला यह इलाका जलवायु परिवर्तन के चलते बंजर हो गया था।
🌱 किसान परेशान, समाधान बना SCT
कोकनपुर के अधिकांश ग्रामीण खेती पर निर्भर हैं। लेकिन जल संकट और सिंचाई की कमी ने किसानों की नींद उड़ा दी थी। कई सरकारी योजनाएं लागू होने के बावजूद समस्या बनी रही, जिससे ग्रामीणों में निराशा का माहौल था।
ऐसे समय में एक जल-संरक्षण योजना का प्रस्ताव आया, जिसमें ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी दिखाई।
Transform Rural India (TRI), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मनरेगा (MNREGA) से जुड़े विशेषज्ञों ने गांव का सर्वेक्षण कर बंजर पहाड़ी के उपयोग की योजना बनाई।
🛠 रोजगार के साथ संरक्षण
रोजगार सहायक भीष्म कुमार वर्मा ने बताया कि SCT तकनीक से जल और मिट्टी का संरक्षण किया जा सकता है, क्योंकि यह पानी को सतह पर रुकने और जमीन में रिसने में मदद करता है।
राजिम टेटा, जो इस पहल से जुड़े हैं, ने बताया:
“यह पहाड़ी कभी जंगल हुआ करती थी, लेकिन अब यह बंजर हो गई थी। हमने जल स्तर बढ़ाने के लिए SCT तकनीक को अपनाया।“
मनरेगा के तहत 4 लाख रुपये की स्वीकृति मिली और 14 एकड़ में 1446 गड्ढे खोदे गए। इसकी शुरुआत महिला समूहों द्वारा की गई, जिन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया।
🌧 कैसे काम करती है SCT?
बारिश के दौरान ये गड्ढे एक के बाद एक भरते हैं, जिससे पानी सीधे ढलान से बहने की बजाय मिट्टी में रिसता है। इससे जल स्तर में वृद्धि होती है और मृदा क्षरण पर भी नियंत्रण पाया जाता है।

📈 जिलेभर में फैल रहा अभियान
इस पहल से प्रेरित होकर कांकेर जिले में ‘More Villages, More Water’ अभियान शुरू किया गया, जिसके तहत विभिन्न पंचायतों में 3620 से अधिक गड्ढे खोदे गए हैं।
जिला पंचायत के CEO हरेश मंडवी ने बताया कि इस वर्ष 1666 जल संरक्षण गतिविधियों को मंजूरी दी गई है, जिनमें तालाब, कृषि उपयोग के व्यक्तिगत तालाब, जल अवशोषक गड्ढे, चेक डैम, गेबियन संरचनाएं, कच्चे बांध, सोक पिट और पर्सोलेशन टैंक शामिल हैं।
कांकेर कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर ने जानकारी दी कि इस योजना में GIS (Geographic Information System) तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने बताया:
“सभी संरचनाओं की योजना ‘रिज से वैली’ सिद्धांत पर आधारित है, जिससे मृदा क्षरण पर भी रोक लगेगी।“
🔚 निष्कर्ष:
SCT तकनीक ने कांकेर के ग्रामीण इलाकों में जल संरक्षण और आजीविका संवर्धन का सफल उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सशक्तिकरण का जरिया बन रही है।
