नई दिल्ली, 21 जुलाई 2025:
हसदेव अरण्य के घने जंगलों में स्थित Parsa East Kente Basan (PEKB) कोयला खनन परियोजना के कारण 3,68,217 पेड़ प्रभावित होंगे, यह जानकारी पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने सोमवार को लोकसभा में दी। यह क्षेत्र भारत के शेष बचे पुराने प्राकृतिक वनों में से एक है, जो 1.7 लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसके नीचे 22 कोयला खनन ब्लॉक मौजूद हैं।
मंत्री ने यह जानकारी सीपीआई (एम-एल) लिबरेशन के सांसद राजा राम सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने सरकार से पूछा था कि क्या वह जानती है कि आदानी एंटरप्राइजेज की परियोजना के लिए दो लाख से अधिक पेड़ों की कटाई हो चुकी है और क्या इस परियोजना को स्थानीय विरोध, वन अधिकार अधिनियम, 2006 और पारिस्थितिकीय संवेदनशीलता के बावजूद पर्यावरणीय मंजूरी दी गई थी?
🌲 परियोजना को मिली दो बार मंजूरी
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार के प्रस्ताव पर इस परियोजना के लिए दो बार वन भूमि हस्तांतरण की मंजूरी दी गई है। हालांकि, इस मंजूरी के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं, जैसे प्रतिपूरक वनीकरण (compensatory afforestation), NPV (नेट प्रेजेंट वैल्यू) का भुगतान, और अन्य शमन उपाय (mitigation measures)।
उन्होंने कहा कि 2009 और 2016 में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (CECB) द्वारा सार्वजनिक सुनवाई कराई गई, जिसमें प्रभावित गांवों के निवासियों ने खनन से संबंधित जल प्रदूषण, रोजगार, पुनर्वास, सांस्कृतिक विरासत आदि मुद्दों पर सवाल उठाए।
इन मुद्दों को पर्यावरण मूल्यांकन समिति (EAC) ने अपने विचार में शामिल किया और परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी (EC) देने की सिफारिश की।
🏭 उत्पादन बढ़ाने को भी मिली मंजूरी
फरवरी 2022 में, पर्यावरण मंत्रालय ने कोयला उत्पादन को 15 MTPA से बढ़ाकर 18 MTPA (20% विस्तार) करने को भी मंजूरी दी। इसके लिए संचयी प्रभाव मूल्यांकन (Cumulative Impact Assessment) किया गया, जिसमें वायु, जल, मृदा, वन और जैव विविधता पर प्रभाव और उसके शमन के उपाय शामिल थे।
मंत्री ने कहा कि खनन कार्यों को Forest Conservation Act, 1980, Environment Protection Act, 1986, और अन्य सभी संबंधित कानूनों व नियमों के तहत ही संचालित किया जा रहा है।
जनवरी 2022 में मंत्रालय ने 1,136 हेक्टेयर वन भूमि में और अधिक खनन को मंजूरी दी थी, जबकि पहले 762 हेक्टेयर क्षेत्र का कोयला पहले ही समाप्त हो चुका था।
