गुरुग्राम, 20 जुलाई 2025 — जब उत्तर भारत बाढ़ की चपेट में था, उसी सप्ताह गुरुग्राम के एक पॉश इलाके से एक दर्दनाक खबर आई जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उनके पिता दीपक यादव द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह हत्या एक बार फिर ‘इज्जत’ के नाम पर बेटियों के वध की मानसिकता को सामने लाती है, जहां बेटियों की आज़ादी परिवार की ‘प्रतिष्ठा’ पर बोझ बन जाती है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि राधिका को सामने से गोली मारी गई, न कि पीछे से जैसा कि पहले दावा किया गया था। यह योजना बद्ध हत्या थी। उसके पिता ने समाज और रिश्तेदारों के ‘तानों’ से परेशान होकर राधिका की अकादमी बंद करवाने की कोशिश की थी। जब वह नहीं मानी, तो उसे उसकी ही रचनात्मकता और स्वतंत्र सोच के लिए मार डाला गया।
राधिका की करीबी मित्र हिमान्शिका ने बताया कि राधिका को उसके परिवार द्वारा खेल, संगीत, कपड़ों और लड़कों से बातचीत को लेकर लगातार टोकाटाकी और निगरानी का सामना करना पड़ता था। वह स्वतंत्र जीवन जीना चाहती थी, मगर उसका परिवार उसे दबाकर रखना चाहता था।
यह घटना किसी पिछड़े इलाके की नहीं, बल्कि गुरुग्राम जैसे विकसित शहर की है — और इसने तथाकथित “न्यू इंडिया” की असल तस्वीर सामने रख दी है। सोशल मीडिया पर हत्या के बाद कई लोग पिता के पक्ष में अभियान चला रहे हैं, जिसमें यह तर्क दिया जा रहा है कि उसने बेटी पर करोड़ों खर्च किए थे। कुछ तो यह तक कह रहे हैं कि उसने पीठ पर नहीं, सीधे सीने में गोली मारी – यही है ‘मर्दानगी’।
यह सोच केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस संकीर्ण समाज की भी है, जो आज भी बेटियों की स्वतंत्रता को पचा नहीं पाता। जिस तरह मनुस्मृति में महिलाओं के लिए कठोर और नियंत्रित जीवन का विधान है, उसी तरह आज भी कुछ लोग उसे व्यवहार में लागू कर रहे हैं।
संघ की विचारधारा, महिलाओं को स्वतंत्र न मानते हुए उन्हें सिर्फ “माँ”, “पत्नी” या “पालक” की भूमिका में देखती है। इसी सोच के चलते ऑनर किलिंग के खिलाफ अब तक कोई ठोस कानून नहीं बना। यही कारण है कि राधिका जैसे मामलों में न्याय की राह लंबी और मुश्किल हो जाती है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है:
क्या बेटियों की स्वतंत्रता अब भी समाज के लिए खतरा मानी जाती है?
क्या ‘इज्जत’ अब भी बेटियों की जान से बढ़कर है?
अब समय है कि समाज राधिका की मौत से सबक ले और यह तय करे कि वह गार्गियों की आवाज़ सुनेगा या याज्ञवल्क्य की धमकियों में उन्हें फिर खामोश कर देगा।
