रायपुर, 19 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ विधानसभा ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जनविश्वास विधेयक 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। यह विधेयक राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस विधेयक को “विकसित भारत – विकसित छत्तीसगढ़” के सपने की ओर एक निर्णायक पहल बताया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता की भावना को अपनाते हुए तैयार किया गया है।
✅ विधेयक का उद्देश्य:
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य उन पुराने औपनिवेशिक कानूनों में संशोधन करना है, जिनके तहत आम नागरिकों और कारोबारियों की छोटी-छोटी तकनीकी त्रुटियों को आपराधिक कृत्य मान लिया जाता था। अब ऐसे मामलों में आपराधिक मुकदमे की बजाय आर्थिक दंड (जुर्माना) का प्रावधान किया गया है।
🔍 किन कानूनों में हुआ बदलाव?
इस विधेयक के तहत 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- नगरीय प्रशासन विभाग के अधिनियम
- नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम
- सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम
- छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम
- छत्तीसगढ़ सहकारिता सोसायटी अधिनियम
- छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915
📌 प्रमुख बदलाव:
- सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने पर पहली बार केवल जुर्माना लगेगा, दोबारा गलती पर जुर्माना और जेल दोनों का प्रावधान।
- मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि की सूचना न देने पर अब केवल ₹1000 तक की शास्ति।
- सोसायटी द्वारा वार्षिक रिपोर्ट दाखिल करने में देरी पर अब आपराधिक मामला नहीं, सिर्फ आर्थिक दंड।
- महिला समूहों के मामलों में जुर्माना बेहद कम रखा गया है।
- सहकारी शब्द का गलत इस्तेमाल होने पर अब आपराधिक मुकदमा नहीं, केवल प्रशासनिक आर्थिक दंड।
📣 क्या होगा लाभ?
इस विधेयक से व्यापारियों, उद्यमियों और आम नागरिकों को अनावश्यक कानूनी उलझनों से राहत मिलेगी। अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होगा और राज्य में निवेश और व्यावसायिक माहौल अधिक अनुकूल बनेगा।
👉 मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य:
छत्तीसगढ़ अब मध्यप्रदेश के बाद दूसरा राज्य बन गया है जिसने यह प्रगतिशील जनविश्वास विधेयक पारित किया है। इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार नागरिकों और कारोबारियों के जीवन को सरल और न्यायोचित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
