रायपुर, 17 जुलाई 2025:
9 जुलाई को देशभर में आयोजित राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल ने भारत ही नहीं, दुनिया के इतिहास में भी एक अनोखा अध्याय जोड़ दिया है। लगभग 25 करोड़ भारतीयों की भागीदारी ने इस हड़ताल को सिर्फ जनसंख्या के लिहाज से नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और राजनीतिक संदेश के रूप में भी ऐतिहासिक बना दिया है।
इस हड़ताल का मकसद केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों, विशेषकर उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज़ उठाना था। यह 1991 से शुरू हुए आर्थिक मॉडल के खिलाफ 21वीं बार देशव्यापी आम हड़ताल थी। अगर उद्योग-विशेष और क्षेत्रीय हड़तालों को जोड़ें, तो यह संख्या सैकड़ों में पहुंचती है।
मीडिया की भूमिका पर उठे सवाल
जहां इस हड़ताल की गूंज देश की सड़कों पर साफ सुनाई दी, वहीं तथाकथित मुख्यधारा मीडिया ने या तो इसे पूरी तरह नजरअंदाज किया या इसे असफल करार देने की कोशिश की। दरअसल, मीडिया पर अब उस कॉरपोरेट पूंजी का नियंत्रण है, जिसके हितों के खिलाफ यह हड़ताल थी।
सत्ता की रणनीति: भीड़ को “भीड़” बनाए रखना
सत्ता तंत्र का आत्मविश्वास अब इस हद तक पहुंच चुका है कि उसे लगता है, वह किसी भी बड़े जनांदोलन को झूठे विमर्श, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और मीडिया मैनेजमेंट के जरिये कमजोर कर सकता है। टीवी, अखबार और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके आम जनता को वास्तविक मुद्दों से भटका दिया जाता है।
वर्ग संघर्ष: सिर्फ आर्थिक नहीं, वैचारिक भी
यह हड़ताल केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं थी। यह एक वैचारिक लड़ाई भी थी – शोषण, असमानता और सामाजिक विभाजन के खिलाफ। कार्ल मार्क्स और एंटोनियो ग्राम्शी जैसे विचारकों के सिद्धांतों की पुष्टि आज भी होती है कि किस प्रकार ऊपरी संरचना (Superstructure) का निर्माण और नियंत्रण सत्ता वर्ग अपनी विचारधारा से करता है।
रास्ता क्या है?
इस हड़ताल से जो सबसे बड़ा सबक निकलता है, वह यह कि सत्ता की रणनीतियों को समझना और काटना जरूरी है। जब तक जनांदोलनों की विचारधारा, संस्कृति और संचार माध्यमों पर पकड़ नहीं बनेगी, तब तक वे सत्ता के चक्रव्यूह को नहीं तोड़ पाएंगे।
निष्कर्ष:
9 जुलाई की हड़ताल ने यह साबित कर दिया कि आम जनता में अब भी संघर्ष की चेतना जीवित है। परंतु यह चेतना तभी सार्थक होगी, जब इसे संगठित रूप दिया जाएगा और जन-मन को भटकाने वाली चालों को पहचान कर उनका प्रतिरोध किया जाएगा। हड़तालें तभी क्रांति का रूप लेंगी, जब वे विचार, संगठन और व्यापक रणनीति से लैस हों।
