रायपुर, 16 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को जल जीवन मिशन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि उसने घरेलू नल कनेक्शन के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी की और 15 लाख परिवारों को केवल कनेक्शन देकर वास्तविक जल आपूर्ति नहीं की गई।
साव ने कहा कि दिसंबर 2023 तक पोर्टल पर 36 लाख परिवारों को जलापूर्ति दिखा दी गई थी, लेकिन वास्तव में केवल 21 लाख घरों में पानी पहुंचा था। उन्होंने कहा कि जून 2024 में किए गए सत्यापन में यह तथ्य सामने आया।
🔍 क्या बोले अरुण साव?
- “पूर्व सरकार ने जल जीवन मिशन के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा किया।”
- “IMIS पोर्टल पर जल कनेक्शन का डेटा अपलोड किया गया, लेकिन किसी भी घर में सत्यापन नहीं हुआ कि पानी मिल भी रहा है या नहीं।”
- “15 लाख घरों में सिर्फ नल कनेक्शन दिए गए, पानी की आपूर्ति नहीं की गई थी।”
- “कांग्रेस सरकार ने ट्यूबवेल कार्य शुरू करने में दो साल गंवा दिए।”
- “हम केवल उन घरों को गिनती में ले रहे हैं, जहां वास्तविक रूप से जल आपूर्ति हुई है।”
🧾 कांग्रेस का जवाब: भूपेश बघेल का पलटवार
पूर्व मुख्यमंत्री और पाटन विधायक भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा:
- “आपके अनुसार दिसंबर 2023 तक 21 लाख घरों को जलापूर्ति हो चुकी थी। अब तक केवल 10 लाख और जुड़े हैं। क्या आपकी ट्रिपल इंजन सरकार इतनी ही तेज़ चल रही है?”
- “हमने 2022-23 और 2023-24 में क्रमशः ₹4200 करोड़ और ₹5374 करोड़ जल जीवन मिशन के लिए आवंटित किए थे। आपकी सरकार में यह घटकर ₹3500 करोड़ हो गया। जब लक्ष्य पूरे नहीं हो रहे, तो बजट में कटौती क्यों?”
⚠️ विपक्ष का हंगामा और वॉकआउट
विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने कहा कि:
- “राज्य में जल जीवन मिशन पूरी तरह से धीमा पड़ा है।”
- “गांवों में आज भी हजारों परिवार पानी की सुविधा से वंचित हैं।”
- “सरकार पारदर्शिता से जवाब देने से बच रही है।”
जब उपमुख्यमंत्री साव यह बताने से चूके कि 2025 में अब तक कितने घरों को जलापूर्ति हुई है, तो कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
🏛️ मुद्दे की अहमियत
जल जीवन मिशन, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य सभी ग्रामीण घरों को नल से जल उपलब्ध कराना है। छत्तीसगढ़ में इसका लक्ष्य 2024 तक 49.98 लाख घरों को जल कनेक्शन देना था।
वर्तमान सत्र में यह मामला राजनीतिक रूप से गर्म मुद्दा बन गया है, जहां दोनों दल एक-दूसरे पर आंकड़ों की बाजीगरी और कार्यान्वयन में लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं।
✅ निष्कर्ष
जहां सत्तापक्ष पूर्व सरकार पर जमीनी काम से अधिक सिर्फ आंकड़ों में खेल दिखाने का आरोप लगा रहा है, वहीं विपक्ष मौजूदा सरकार को धीमी गति और बजट कटौती को लेकर घेर रहा है। जनता के लिए सवाल यही है कि नल में पानी कब आएगा, और आंकड़ों से बाहर कब वास्तविक राहत मिलेगी।
