रायपुर, 16 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के 1650 से अधिक विद्या मितान शिक्षकों ने एक बार फिर संविलियन की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। विधानसभा का मानसून सत्र (14 से 18 जुलाई) जैसे-जैसे अंतिम चरण में पहुंच रहा है, विद्या मितान राज्य अतिथि शिक्षक कल्याण संघ भी सक्रिय हो गया है। संघ ने 18 जुलाई शुक्रवार को नया रायपुर के तूता धरना स्थल से विधानसभा घेराव का एलान किया है।
✊ 10 वर्षों से संविलियन की प्रतीक्षा
विद्या मितान राज्य अतिथि शिक्षक कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र दास वैष्णव ने कहा कि हम पिछले 10 वर्षों से हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन आज तक हमें संविलियन नहीं मिला। इसके अलावा, छुट्टियों (CL और EL) का लाभ भी नहीं दिया जाता है, जो कि मौलिक अधिकारों का हनन है।
“हम बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित और सरगुजा जैसे दूरस्थ अंचलों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी मांगों की अनदेखी कर रही है।”
— धर्मेंद्र दास वैष्णव, अध्यक्ष
🗓️ विधानसभा घेराव 18 जुलाई को
संघ के मुताबिक, प्रदर्शनकारी शिक्षक:
- 18 जुलाई, शुक्रवार को तूता धरना स्थल से कूच करेंगे।
- विधानसभा का शांतिपूर्ण घेराव कर सरकार से जवाब मांगेंगे।
- संविलियन के साथ-साथ न्यूनतम वेतन, सेवाशर्तों में सुधार, स्थायी नियुक्ति की भी मांग उठाएंगे।
📜 अब तक प्रदर्शन और सरकार की प्रतिक्रिया
- वर्ष 2015-16 में विद्या मितानों की नियुक्ति अस्थायी आधार पर की गई थी।
- 2018 से पहले की रमन सरकार और बाद में भूपेश बघेल सरकार में भी कई बार प्रदर्शन हुए, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ।
- वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी संविलियन को लेकर कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आई है।
❗ शिक्षकों का शोषण या सरकार की अनदेखी?
विद्या मितानों का आरोप है कि:
- उनका वेतन बहुत कम है और किसी प्रकार का भत्ता या सुविधाएं नहीं मिलतीं।
- वे स्थायी शिक्षकों जितना कार्यभार निभा रहे हैं लेकिन मान्यता नहीं दी जा रही है।
- संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य करने के बावजूद सम्मानजनक वेतन और सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं।
🧑🎓 शिक्षा के अधिकार और शिक्षक अधिकार
- संवैधानिक रूप से, हर शिक्षक को समान अवसर, वेतन और सेवा शर्तों का हक है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सरकार शिक्षकों को न्याय नहीं देती, तो शिक्षा व्यवस्था की नींव कमजोर होगी।
🗣️ निष्कर्ष
विद्या मितान शिक्षकों का आंदोलन छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था, सरकारी नीतियों और सामाजिक न्याय की परीक्षा है। अगर जल्द ही सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती, तो यह प्रदर्शन और व्यापक रूप ले सकता है।
