रायपुर, 16 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ विधानसभा का परिसर आज रात प्रभु श्रीराम की भक्ति में रंगा नजर आया, जब सुप्रसिद्ध लोक गायिका सुश्री मैथिली ठाकुर ने अपनी मधुर आवाज में भक्ति रस से सराबोर एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी। यह अवसर था विधानसभा रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत आयोजित “उत्कृष्टता अलंकरण समारोह” की सांस्कृतिक संध्या का, जिसने दर्शकों को आध्यात्मिक भाव-विभोर कर दिया।
🎤 भजनों की सुगंध में भीगा विधानसभा परिसर
सुश्री मैथिली ठाकुर ने मंच पर आते ही वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में जिन भजनों को गाया, वे थे:
- “श्रीराम को देखकर जगत जननी नंदनी…”
- “मेरे झोपड़ी के भाग खुल जाएंगे…”
- “मेरे राम की कृपा से सब काम हो रहा है…”
उनके भावपूर्ण गायन और सुरों की मिठास ने हजारों श्रोताओं को राम भक्ति में डुबो दिया। भजन सुनते समय दर्शकों की आँखों में श्रद्धा और चेहरे पर संतोष स्पष्ट झलक रहा था।
🌟 मुख्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर राज्य के शीर्ष नेतृत्व मंच पर उपस्थित रहे:
- राज्यपाल श्री रमेन डेका
- विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह
- मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
- नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत
- सांसदगण एवं विधायकगण
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मंच से सुश्री मैथिली ठाकुर को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया और उनके योगदान को “लोकसंस्कृति और भक्ति संगीत का गौरव” बताया।
✨ विधानसभा का रजत जयंती वर्ष: संस्कृति और लोकतंत्र का संगम
छत्तीसगढ़ विधानसभा का रजत जयंती वर्ष केवल एक राजनैतिक उत्सव नहीं, बल्कि यह राज्य की संस्कृति, परंपरा और लोककलाओं के सम्मान का अवसर भी है। सांस्कृतिक संध्या के माध्यम से न केवल आमजन के लिए आध्यात्मिक अनुभूति का मंच तैयार हुआ, बल्कि यह सिद्ध हुआ कि छत्तीसगढ़ की विधानसभा “लोक और तंत्र” दोनों की आवाज़ है।
📷 सांस्कृतिक धरोहर का भव्य उत्सव
विधानसभा परिसर को भव्य रंग-रोशनी, पुष्प सज्जा और पारंपरिक छत्तीसगढ़ी कलाकृतियों से सजाया गया था। आयोजन की खास बात यह थी कि इसमें न केवल जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, बल्कि विधानसभा परिवार और आमंत्रित अतिथियों ने भी गहन श्रद्धा और उल्लास के साथ भक्ति संगीत का आनंद उठाया।
🗣️ निष्कर्ष
सुश्री मैथिली ठाकुर की इस प्रस्तुति ने यह प्रमाणित कर दिया कि लोकगीत और भक्ति संगीत आज भी जनता के हृदय में गहराई तक असर करते हैं। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक परंपरा को मजबूत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ।
