रायपुर, 16 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता और उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए युक्तियुक्तकरण (Rationalization) प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू किया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति आधारित दृष्टिकोण के साथ सम्पन्न की गई है, और इसमें किसी भी शिक्षक के पद को समाप्त नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुरूप लिया गया है, ताकि राज्य की शिक्षा व्यवस्था अधिक संगठित, प्रभावशाली और परिणामदायक बन सके।
📉 युक्तियुक्तकरण से पहले शिक्षा व्यवस्था की स्थिति
- 211 शालाएं ऐसी थीं, जहाँ 0 दर्ज संख्या होने के बावजूद संचालन हो रहा था।
- 453 स्कूल शिक्षक विहीन थे।
- 5936 शालाएं केवल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रही थीं।
- कुछ स्कूलों में शिक्षक संख्या अवांछनीय रूप से अधिक पाई गई —
- 8 स्कूलों में 15 से अधिक शिक्षक
- 61 स्कूलों में 10-14 शिक्षक
- 749 प्राथमिक शालाओं में 6-9 शिक्षक
- ग्रामीण क्षेत्रों में 1 किमी के भीतर दो स्कूल, और शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर के भीतर 30 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं चल रही थीं।
यह असंतुलन शिक्षा की गुणवत्ता, संसाधनों के सही उपयोग और प्रबंधन में कठिनाई उत्पन्न कर रहा था।
🏫 प्रथम चरण: विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण
- 10538 विद्यालयों का समायोजन किया गया, जिनमें:
- 10372 स्कूल एक ही परिसर में संचालित थे
- 133 ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलें 1 किमी से कम दूरी पर थीं
- 33 शहरी क्षेत्र की स्कूलें 500 मीटर से कम दूरी पर थीं
- समायोजन विकासखंड और जिला स्तर पर समिति द्वारा परीक्षण और अनुशंसा के बाद किया गया।
👩🏫 द्वितीय चरण: शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण
- शिक्षकों की गणना एवं चिन्हांकन राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत किया गया।
- कुल 15,165 शिक्षक एवं प्राचार्य समायोजित किए गए।
- 453 शिक्षक विहीन स्कूलों को अब शिक्षक युक्त कर दिया गया।
- 5936 एकल शिक्षकीय स्कूलों में से केवल 1207 स्कूल ही अब शेष हैं जहाँ शिक्षक अनुपलब्ध हैं।
🔍 मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा:
“इस प्रक्रिया में किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है। यह एक व्यवस्थित और दूरदर्शी नीति का हिस्सा है, जिससे राज्य की भावी पीढ़ी को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मिल सकेगी। यदि किसी विद्यालय की दर्ज संख्या बढ़ती है, तो वहां स्वीकृत पदों के अनुरूप शिक्षक व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।”
📊 निष्कर्ष: शिक्षा में सुधार का सशक्त मॉडल
यह युक्तियुक्तकरण सिर्फ संख्या का समायोजन नहीं, बल्कि शिक्षा में गुणवत्ता, समानता और समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक दूरदर्शी पहल है। इससे न केवल शिक्षक वितरण संतुलित हुआ है, बल्कि हजारों बच्चों को बेहतर और निरंतर शिक्षण का लाभ भी मिलने लगा है।
