रायपुर, 16 जुलाई 2025:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कोलकाता में प्रस्तावित रैली से एक दिन पहले, प्रवासी बंगाली मज़दूरों की कथित गिरफ्तारी और उत्पीड़न को लेकर राजनीति गरमा गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा और राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने भाजपा शासित राज्यों — विशेषकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र — पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
छत्तीसगढ़ से मजदूरों की ‘जबरन वापसी’ का आरोप
महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को एक वीडियो संदेश में दावा किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए नौ प्रवासी मज़दूरों को रिहा तो किया गया, लेकिन उन्हें बसों में बैठाकर जबरन पश्चिम बंगाल भेजा गया। मोइत्रा ने इस कार्यवाही को “अवैध और असंवैधानिक” बताते हुए छत्तीसगढ़ के डीजीपी से जवाब मांगा है।
उन्होंने कहा,
“ये मज़दूर अपराधी नहीं हैं। वे देश के किसी भी राज्य में रहने और काम करने का अधिकार रखते हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ से बाहर फेंकने का आपको कोई अधिकार नहीं है।”
महुआ मोइत्रा ने चेतावनी दी कि अगर इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह विधिक मार्ग अपनाकर अदालत का रुख करेंगी।
महाराष्ट्र में माटुआ समुदाय के खिलाफ कार्रवाई का आरोप
टीएमसी के राज्यसभा सांसद और पश्चिम बंगाल प्रवासी मज़दूर कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने महाराष्ट्र सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पुणे पुलिस ने उत्तर 24 परगना जिले के माटुआ समुदाय के कम से कम छह लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें नाबालिग भी शामिल हैं। पुलिस ने उन्हें “बांग्लादेशी” बताकर हिरासत में लिया, जबकि उनके पास आधार कार्ड, EPIC और ऑल इंडिया माटुआ महासंघ (AIMM) द्वारा जारी पहचान पत्र मौजूद थे।
इस्लाम ने लिखा,
“यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन माटुआ समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, उसी समुदाय से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर भी आते हैं।”
अन्य राज्यों में भी बढ़ी घटनाएं
यह घटनाएं ऐसे समय सामने आ रही हैं जब ओडिशा, गुजरात, दिल्ली और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से भी बंगाली भाषी मज़दूरों की कथित छापेमारी और उत्पीड़न की खबरें सामने आई हैं।
बीते महीने मुंबई में सात मज़दूरों को हिरासत में लेने के बाद बांग्लादेश भेजने की कोशिश की गई, हालांकि बाद में उन्हें वापस लाया गया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में विवाद गहराता
टीएमसी इस पूरे घटनाक्रम को “भाजपा की बंगाल विरोधी राजनीति” करार दे रही है, वहीं भाजपा ने अब तक इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। ममता बनर्जी की बुधवार को कोलकाता में होने वाली रैली में इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाए जाने की संभावना है।
निष्कर्ष:
देश में बढ़ती प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ी चिंताएं अब गंभीर राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही हैं। यदि ये आरोप सच साबित होते हैं, तो इससे संविधान प्रदत्त अधिकारों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच प्रवासी मज़दूरों की ज़िंदगी अधर में झूलती नज़र आ रही है।
