बीजापुर, 16 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले स्थित इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में माओवादियों की बर्बरता एक बार फिर सामने आई है। माओवादियों ने सोमवार रात दो शिक्षादूतों की हत्या कर दी, जिन्हें वे पुलिस का मुखबिर समझ बैठे थे। इस ताज़ा घटना के बाद वर्ष 2025 में माओवादी हिंसा में मारे गए आम नागरिकों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है।
यह वारदात बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 57 किलोमीटर दूर फारसेगढ़ थाना क्षेत्र के एक सुदूर गांव में हुई। मृतकों की पहचान विनोद माड़े (28), निवासी पिल्लूर और सुरेश मेटा (29), निवासी टेकामेटा के रूप में की गई है। दोनों ही युवकों को माओवादियों ने गांव से अगवा कर बेरहमी से मार डाला।
शिक्षादूत योजना क्या है?
राज्य सरकार द्वारा बस्तर के सुदूर अंचलों में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए ‘शिक्षादूत’ योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत, उच्च माध्यमिक उत्तीर्ण गांव के युवक-युवतियों को अस्थायी शिक्षक के रूप में चयनित किया जाता है। उन्हें प्रतिमाह ₹12,000 का मानदेय जिला खनिज न्यास (DMF) फंड से दिया जाता है। ये शिक्षादूत प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाते हैं, जो अक्सर कच्चे झोपड़ीनुमा स्कूलों में संचालित होते हैं।
स्थानीय लोगों में डर का माहौल
घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षादूतों का काम केवल बच्चों को पढ़ाना होता है, लेकिन माओवादी अब उन्हें भी निशाना बना रहे हैं। इससे कई युवा अब इस योजना से जुड़ने में हिचकिचा सकते हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
बीजापुर पुलिस अधीक्षक ने पुष्टि की है कि यह घटना माओवादियों की करतूत है और सुरक्षाबलों की टीमें घटनास्थल की ओर रवाना कर दी गई हैं। इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
बढ़ती माओवादी हिंसा पर चिंता
वर्ष 2025 में अब तक माओवादी हिंसा में मारे गए नागरिकों की संख्या 25 हो चुकी है, जो बस्तर अंचल में लगातार बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था की ओर इशारा करती है। माओवादियों की रणनीति में अब शिक्षकों, वनकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
निष्कर्ष:
बस्तर में शिक्षा जैसी मूलभूत सेवा से जुड़े लोगों की हत्या न केवल विकास कार्यों को प्रभावित कर रही है, बल्कि क्षेत्र में शांति बहाली की कोशिशों को भी चुनौती दे रही है। सरकार को ऐसी घटनाओं पर कठोर कार्रवाई करनी होगी ताकि शिक्षादूतों और अन्य कर्मियों का मनोबल बना रहे।
