नई दिल्ली, 15 जुलाई 2025 — भारत की खुदरा महंगाई दर जून 2025 में घटकर सिर्फ 2.1% पर आ गई है, जो जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। साथ ही थोक मूल्य सूचकांक (WPI) भी -0.1% पर पहुंच गया है, जो 20 महीनों में सबसे कम है। यह राहत मुख्य रूप से खाद्य और ईंधन कीमतों में गिरावट के कारण मिली है। यह गिरावट नीतिगत स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने का संकेत देती है, विशेषकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी हुई है।
🔍 खुदरा महंगाई में गिरावट के प्रमुख कारण
➡️ खाद्य महंगाई में गिरावट:
- अक्टूबर 2024 में खाद्य महंगाई 10.9% थी, जो अब -1.1% हो गई है।
- सब्जियों की कीमतों में जबरदस्त गिरावट—42% से घटकर -19%।
➡️ अन्य खाद्य वस्तुएं भी सस्ती:
- अनाज की महंगाई 7% से घटकर 4% से नीचे
- बेहतर रबी फसल उत्पादन और मानसून 9.5% सामान्य से अधिक रहने के चलते मूल्य स्थिरता बनी हुई है।
💡 गैर-खाद्य महंगाई (Core Inflation) में बढ़ोतरी
हालांकि, Core Inflation (गैर-खाद्य और गैर-ईंधन वस्तुएं) 4.4% पर पहुंच गई है, जो लगातार छठवां महीना है जब इसमें बढ़ोतरी देखी गई। इसका एक कारण है:
- सोने-चांदी की कीमतों में उछाल
- वस्त्र और जूते जैसी घरेलू वस्तुओं की महंगाई 3% से कम, जिससे ओवरहीटिंग की संभावना नहीं
🛢️ थोक महंगाई में गिरावट के कारक
➡️ WPI में 0.1% संकुचन
- फूड ग्रुप में -0.3%
- मिनरल ऑयल में -5.8%
- भारत का क्रूड बास्केट मूल्य: $82.6 (जून 2024) से घटकर $69.8 प्रति बैरल
➡️ निर्मित वस्तुओं की महंगाई:
- मार्च में 3.2% से गिरकर जून में 2% हो गई
🏦 मौद्रिक नीति को मिला समर्थन
- RBI ने जून में 50 बेसिस प्वाइंट की ब्याज दर कटौती की थी (अपेक्षित 25bp से अधिक)
- जून तिमाही में CPI महंगाई 2.7% रही, जबकि MPC का अनुमान 2.9% था
- इससे संकेत मिलते हैं कि आगामी मौद्रिक नीति बैठक (4-6 अगस्त) में और नीति समर्थन की संभावना बन सकती है
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी संकेत दिए थे कि यदि महंगाई अनुमान से कम रहती है, तो नीतिगत स्थान खुल सकता है।
📈 आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं
- वित्त वर्ष 2025-26 के लिए MPC का GDP अनुमान: 6.5%
- जून तिमाही का अनुमान: 6.5%
- इस महंगाई गिरावट से विकास दर को अतिरिक्त बल मिल सकता है
