14 जुलाई 2025 भिलाई स्टील प्लांट (BSP) में कार्यरत हजारों कर्मचारियों के लिए बोनस एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। हर साल दुर्गा पूजा से पहले अक्टूबर में बोनस मिलने की परंपरा रही है, लेकिन इस वर्ष 2025 में बोनस वितरण को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
कर्मचारियों को आशंका है कि प्रबंधन कहीं इस बार भी बिना किसी बातचीत के एकतरफा निर्णय लेकर बोनस की राशि सीधे खातों में ट्रांसफर न कर दे, जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में हुआ है।
🧾 बोनस से जुड़ी प्रमुख मांगें
कर्मचारी संगठनों ने अपनी निम्नलिखित मांगें स्पष्ट रूप से रखी हैं:
- एनजेसीएस उप-समिति की तात्कालिक बैठक बुलाई जाए।
- बोनस की राशि पर चर्चा में सभी श्रमिक संगठनों को शामिल किया जाए।
- इस वर्ष बोनस में उचित वृद्धि की जाए।
- एकतरफा निर्णय न लिया जाए, संवाद और सहमति की प्रक्रिया अपनाई जाए।
📊 पिछले पांच वर्षों में कर्मचारियों को मिले बोनस का आंकड़ा
वर्ष | प्रति कर्मचारी दी गई राशि (₹) |
---|---|
2020 | ₹16,500 |
2021 | ₹21,000 |
2022 | ₹40,500 |
2023 | ₹23,000 |
2024 | ₹26,500 |
2022 में उच्चतम बोनस राशि दी गई थी, जबकि पिछले वर्ष 2024 में मामूली वृद्धि दर्ज की गई।
🏢 एनजेसीएस समिति की निष्क्रियता से बढ़ी चिंता
बोनस निर्धारण को पारदर्शी बनाने के लिए जनवरी 2025 में नेशनल जॉइंट कमेटी फॉर स्टील (एनजेसीएस) की एक उप-समिति का गठन किया गया था। लेकिन छह महीने बीतने के बावजूद एक भी बैठक नहीं हुई, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी और संशय गहराता जा रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि यह चुप्पी प्रबंधन की मंशा पर सवाल खड़े करती है और कहीं यह पहले की तरह फिर से बिना संवाद के राशि डालने की तैयारी तो नहीं?
🗣️ नेताओं की प्रतिक्रियाएं
🔹 वीबी सिंह, महासचिव, इंटक:
“बोनस फॉर्मूला जटिल है, इसे सरल बनाकर कर्मचारियों को अधिक लाभ दिया जाना चाहिए।”
🔹 हरिशंकर चतुर्वेदी, जिला मंत्री, बीएमएस:
“पुराना फॉर्मूला तत्काल रद्द किया जाए और नया समझौता कर कर्मचारियों को उचित बोनस दिया जाए।”
🔎 निष्कर्ष
भिलाई स्टील प्लांट जैसे देश के महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम में कर्मचारियों का भरोसा और मनोबल बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि बोनस जैसी महत्वपूर्ण वित्तीय योजना पर पारदर्शिता और संवाद से निर्णय लिया जाए। समय रहते उप-समिति की बैठक बुलाकर कर्मचारियों की मांगों पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि संयंत्र का सामाजिक और औद्योगिक वातावरण संतुलित रह सके।
