मुंबई, 13 जुलाई 2025
26/11 मुंबई आतंकी हमले और 1993 बॉम्बे ब्लास्ट जैसे मामलों में सरकार की तरफ से केस लड़ने वाले मशहूर विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल देवोराव निकम को अब राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। यह घोषणा गृह मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी अधिसूचना के माध्यम से की गई।
इससे भी अधिक खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उज्ज्वल निकम को फोन कर यह शुभ समाचार दिया। ANI को दिए बयान में उज्ज्वल निकम ने बताया कि पीएम मोदी ने उन्हें शनिवार को फोन किया और यह जानकारी मराठी भाषा में साझा की।
📞 PM मोदी ने की व्यक्तिगत कॉल: “मराठी में बात करें या हिंदी?”
उज्ज्वल निकम ने कहा:
“कल प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझे कॉल किया और पूछा – ‘मराठी में बोलूं या हिंदी में?’ इस पर हम दोनों हँस पड़े। फिर उन्होंने मराठी में कहा कि राष्ट्रपति जी आपको एक ज़िम्मेदारी सौंपना चाहती हैं, और उन्होंने राज्यसभा में नामांकन की जानकारी दी। मैंने तुरंत हां कह दिया।”
🏛️ चार नामांकित सदस्यों में एक हैं उज्ज्वल निकम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामित किया है:
- उज्ज्वल निकम – वरिष्ठ अधिवक्ता और विशेष सरकारी वकील
- हर्षवर्धन श्रृंगला – पूर्व राजनयिक
- मीनाक्षी जैन – इतिहासकार
- सी. सदानंदन मास्टर – शिक्षक एवं राजनेता
✍️ प्रधानमंत्री मोदी ने की सराहना, X (Twitter) पर दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने उज्ज्वल निकम की प्रशंसा करते हुए लिखा:
“श्री उज्ज्वल निकम की कानूनी क्षेत्र और संविधान के प्रति निष्ठा अनुकरणीय है। उन्होंने न केवल एक सफल वकील के रूप में कार्य किया है, बल्कि न्याय की स्थापना के लिए अनेक महत्वपूर्ण मामलों में अग्रणी भूमिका निभाई है।”
“राष्ट्रपति जी द्वारा उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया जाना अत्यंत प्रसन्नता की बात है। उन्हें संसदीय जीवन के लिए मेरी शुभकामनाएं।”
⚖️ कौन हैं उज्ज्वल निकम?
- 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला मामले में अजमल कसाब के खिलाफ विशेष अभियोजक
- 1993 बॉम्बे ब्लास्ट केस, प्रेमचंदनी हत्याकांड, और प्रमोद महाजन हत्याकांड जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सरकार की ओर से केस लड़ा
- अपनी प्रभावशाली तर्कशक्ति, संविधान के प्रति समर्पण और न्यायिक मूल्यों की रक्षा के लिए जाने जाते हैं
🇮🇳 एक प्रेरणादायक कानूनी व्यक्तित्व की संसदीय शुरुआत
राज्यसभा के लिए नामांकन के साथ, उज्ज्वल निकम का सफर अब संविधान निर्माण और विधायी कार्यों में योगदान की दिशा में एक नया अध्याय शुरू करेगा। उन्हें कानूनी क्षेत्र में योगदान के साथ-साथ अब नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।
