रायपुर, 12 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ की व्यापारिक व्यवस्था में सुधार और छोटे व्यापारियों को राहत देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने 10 साल से अधिक पुराने ₹25,000 तक के वैट देनदारियों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इससे राज्य के करीब 40,000 से अधिक व्यापारियों को सीधा लाभ पहुंचेगा, साथ ही लंबित 62,000 से अधिक वाणिज्यिक मुकदमों का भी निपटारा हो सकेगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में “छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति के निपटान संशोधन विधेयक 2025” और “छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर (GST) संशोधन विधेयक 2025” के प्रारूप को मंजूरी दी गई। ये दोनों विधेयक आगामी विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत किए जाएंगे।
📌 जीएसटी प्रणाली में बड़े बदलाव
मंत्रिपरिषद की बैठक में जीएसटी प्रणाली को सरल और व्यापार हितैषी बनाने के उद्देश्य से कई अहम संशोधन प्रस्तावित किए गए:
- इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स (ISD) द्वारा आरसीएम (RCM) में लिए गए आईजीएसटी का वितरण अब उनके ब्रांच ऑफिस में भी किया जा सकेगा। इससे GST अधिनियम में व्यावहारिक जटिलताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
- टैक्स डिमांड रहित मामलों में अपीलीय पूर्व जमा राशि (pre-deposit) को 20% से घटाकर 10% कर दिया गया है, जिससे व्यापारियों पर आर्थिक दबाव कम होगा।
- ‘टाइम ऑफ सप्लाई’ के प्रावधान को वाउचर पर करदेयता से संबंधित असमंजस को खत्म करने के लिए हटा दिया गया है। इससे एडवांस रूलिंग में उत्पन्न मतभेद समाप्त होंगे।
📌 विशेष क्षेत्रों में नए सुधार
- तंबाकू उत्पादों जैसे डिमेरिट गुड्स पर ट्रेस एंड ट्रैक मैकेनिज्म लागू किया गया है, जिससे इन उत्पादों के पूरे सप्लाई चेन पर निगरानी संभव होगी।
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) के वेयरहाउस में रखे गए सामानों के फिजिकल मूवमेंट के बिना होने वाले क्रय-विक्रय को GST से बाहर रखा गया है। इससे SEZs को और बढ़ावा मिलेगा।
🔍 राज्य सरकार की व्यापारिक नीति को मिलेगा बल
राज्य सरकार का यह निर्णय स्पष्ट रूप से छोटे व्यापारियों और उद्यमियों के हित में है। लंबित कर मामलों की माफी और GST प्रणाली में की गई सरलता इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को और गति देगी। इसके साथ ही राज्य में निवेश का वातावरण भी बेहतर होगा।
