कलेक्टर अभिजीत सिंह ने किया देवरी मत्स्य बीज प्रक्षेत्र का निरीक्षण, 400 लाख स्पॉन उत्पादन लक्ष्य की तैयारी तेज

दुर्ग, 11 जुलाई 2025:
धमधा विकासखंड अंतर्गत स्थित मत्स्य बीज प्रक्षेत्र, देवरी में कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने शुक्रवार को निरीक्षण कर मत्स्य बीज उत्पादन कार्यक्रम की प्रगति का जायजा लिया। इस अवसर पर मत्स्य पालन विभाग की उप संचालक श्रीमती सीमा चंद्रवंशी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।


🔍 मनरेगा अंतर्गत चल रहे कार्यों का निरीक्षण:

कलेक्टर ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा योजना के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग को स्वीकृत प्रमुख कार्यों का स्थल पर अवलोकन किया। इनमें शामिल हैं:

  • समुदाय के लिए जल संचय तालाब का नवीनीकरण एवं स्टोन पिचिंग कार्य
  • डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण
  • संघ भवन निर्माण कार्य

इन कार्यों से ग्रामीण समुदाय में सामुदायिक मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।


🎯 400 लाख स्पॉन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित:

प्रक्षेत्र प्रभारी सहायक मत्स्य अधिकारी श्री गिरिश कुमार वर्मा ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 400 लाख स्पॉन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे पूरा करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है

वर्तमान में जिले में 110 मत्स्य सहकारी समितियां सक्रिय हैं, जिनके माध्यम से मत्स्य पालन को संस्थागत रूप दिया जा रहा है।


🐟 मछुआरों को मिलेगा अनुदान पर बीज:

जुलाई माह के अग्रिम पखवाड़े से जिले में 50% अनुदान पर प्राई एवं फिंगरलिंग मत्स्य बीज का वितरण मछुआ सहकारी समितियों, मछुआ समूहों और निजी मत्स्य कृषकों को किया जाएगा।

इसके साथ ही, सरकार द्वारा चलाई जा रही पंचायत तालाब स्पॉन संवर्धन योजना के अंतर्गत 100% अनुदान पर मत्स्य बीज वितरण कर किसानों को सीधे लाभान्वित किया जा रहा है।


🧪 बीज उत्पादन हैचरी और तकनीकी ढांचा:

निरीक्षण के दौरान उप संचालक श्रीमती चंद्रवंशी ने कलेक्टर को बताया कि प्रक्षेत्र में निम्न तकनीकी सुविधाएं विकसित की गई हैं:

  • मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी
  • इन्क्यूबेशन पूल
  • स्पॉनिंग फूल
  • संवर्धन पोखर
  • प्रजनक पोखर

ये सभी व्यवस्थाएं मिलकर जिले में गुणवत्तापूर्ण मत्स्य बीज उत्पादन सुनिश्चित कर रही हैं।


📈 मत्स्य पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती:

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मछुआरों के कल्याण हेतु चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर देखा जा रहा है। मछुआ समूहों और निजी कृषकों को रोजगार, आयवृद्धि और आजीविका सशक्तिकरण में मदद मिल रही है।